ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कुल में माहे मुहर्रम कि फजीलत और योमे अशुरा के उपलक्ष में कार्यक्रम संपन्न.

ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कुल में माहे मुहर्रम कि फजीलत और योमे अशुरा के उपलक्ष में कार्यक्रम संपन्न.

औसा (प्रतिनिधी) ता.२८ जुलै-ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कुल में माहे मुहर्रम कि फजीलत और योमे अशुरा के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.जिसमें जेरे सदारत मोहतरमा सौदागर उपस्थित थीं.कार्यक्रम की शुरवात तिलावते कलाम पाक से कि गई.शुरु में स्कुल के तलबाओंने बयानात,हदीस और नात पेश किये.प्रिंसीपल अंजुमनेहा इकबाल शेख ने मुहर्रम कि फजीलत पर मार्गदर्शन करते हुए कहा की, वह दिन जिस दिन पैगम्बर मुहम्मद स.अ.स.जब मक्का छोड़कर मदीना के लिए निकले तब से हिजरी कैलेंडर की शुरुआत होती है.इस कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है.पूरे इस्लामी जगत में,मुहर्रम की ९वीं और १०वीं तारीख को विशेष प्रार्थनाओं के साथ उपवासों का एहतमाम किया जाता है.कर्बला की घटना ने क़यामत के दिन तक मुसलमानों को यह संदेश दिया है कि ज़ुल्म के सामने घुटने टेकना इस्लाम को स्विकार्य नहीं है.हजरत हुसैन रजि ने सच्चाई के लिए इब्ने ज़ियाद से तब भी लड़ाई की जब उनकी हार उनकी आंखों के सामने थी.जब जीत सामने हो तो लड़ना अलग बात है लेकिन जब हार सामने हो तो लड़ने के लिए बहुत बड़े साहस की जरूरत होती है.चूंकि उन्होंने ऐसा करने का साहस किया, इसलिए आज हर मुसलमान गर्व से कह सकता है,इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद.उन्होंने अपना सब कुछ त्याग दिया कोई समझौता नहीं किया.उनके इस अतुलनीय साहस की यह घटना मुसलमानों को कयामत तक प्रेरणा देती रहेगी.अतः मेरी दृष्टि में इस साहसिक घटना पर दुःख व्यक्त करके रोना,छाती पीटना, स्वयं को चोट पहुँचाना उचित नहीं है,बल्कि इसके विपरीत इस घटना से अन्याय के विरुद्ध डट जाने की प्रेरणा लेने की अपेक्षा की जाती है.इस कार्यक्रम का सूत्र संचालन सय्यद आयेशा ने किया तथा आभार पंजेशा बुशरा ने माना.कार्यक्रम को कामयाब बनाने के लिए असातेजाए किराम पठाण तहेनियत,शेख मुस्कान,पटेल तरन्नुम,शेख सुमैय्या,सिमा मणियार, उमर शेख,अलताफ सिध्दीकी और तलबाओंने मेहनत की.

टिप्पणी पोस्ट करा

0 टिप्पण्या