मोटापा है किडनी फेल्योर का सबसे बड़ा कारण* गलत जीवनशैली और खानपान आपकी किडनी को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।

 *आधार पॅथॉलॉजी लॅबऔसा*

           *हेल्थ टिप्स*

*मोटापा है किडनी फेल्योर का सबसे बड़ा कारण*

गलत जीवनशैली और खानपान आपकी किडनी को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।




गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्‍त को छानकर शुद्ध करती हैं।

भारत में किडनी रोगों के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में वजह मोटापा को पाया गया है।

जीवनशैली में बदलाव के कारण और खानपान की गलत आदतों के कारण किडनी रोगियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। क्या आपको पता है कि हर साल लगभग साढ़े आठ लाख लोग किडनी रोगों के कारण मर जाते हैं। गलत जीवनशैली और खानपान आपकी किडनी को बुरी तरह प्रभावित करते हैं, जिसके कारण किडनी ठीक से खून फिल्टर नहीं कर पाती है। खून जब ठीक से फिल्टर नहीं होता तो खून में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ और जहरीले तत्व इकट्ठा होकर किडनी और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। किडनी या गुर्दे रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन के आकार के दो अंग होते हैं, जिन्‍हें किडनी कहते हैं। शरीर के रक्‍त का बड़ा हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्‍त को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्‍त के अशुद्ध भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं। किडनी रोग का शुरुआती अवस्‍था में पता नहीं चल पाता और यह इतना खतरनाक होता है कि बढ़कर किडनी फेल्‍योर का रूप ले लेता है।

*सबसे बड़ा कारण मोटापा*

क्रॉनिक किडनी डिजीज विश्व की लगभग 10% जनसंख्या को जीवन में कभी न कभी प्रभावित करते हैं। इस रोग से किडनी को भारी नुकसान होता है, जिसकी वजह से कई बार रोगी को अपनी जान गंवानी पड़ती है या एक किडनी से जीवनभर काम चलाना पड़ता है। पैन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में किडनी रोगों के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में इसकी वजह मोटापा पाया गया है। कई लोग शरीर से मोटे नहीं होते हैं लेकिन उनका पेट निकला हुआ होता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज का सबसे बड़ा कारण यही पेट का मोटापा है। दरअसल किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65 प्रतिशत डैमेज हो चुकी होती है। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है.

*डायबिटीज और ब्लडप्रेशर भी है कारण*

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारण हैं। डायबिटीज के 30 से 40 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होती है। इनमें से 50 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से इस बीमारी का पता चलता है और फिर उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज किसी भी इलाज से पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती। अंतिम अवस्था में उपरोक्त बीमारियों का उपचार केवल डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण से ही संभव है।

*शुरुआती लक्षण*

शरीर में सूजन का होना।

पेशाब की मात्रा में कमी होना ।

पेशाब में प्रोटीन या खून का आना। जलन होना।

पेशाब बार-बार आना।

भूख की कमी होना और जी मिचलाना।

शरीर में रक्त की कमी होना और ब्लड प्रेशर का बढ़ा होना।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की आधार लॅब औसा पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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