लातूर शहर के बा फैज़ आलिम ए दीन हज़रत मौलाना उसमान साहब कासमी का इंतेखाल








लातूर शहर के बा फैज आलिम ए दीन हज़रत मौलाना उसमान साहब कासमी ,नाजिम मदरसा नूरुल इस्लाम पाखर  सांगवी ,साबिक इमाम मक्का मस्जिद लातूर ,का कल रात 9 बजे और रात 12 बजे  बजे मदरसा नुरुल इस्लाम में तद्फीन अमल में आई 
انا للہ وانا الیہ روجعون
अल्लाह मगफिरत फर्माए, आमीन

शोक सन्देश 



 मौलाना मोहम्मद उस्मान साहब
 मुकाम ताड़ सोना जिला बीड़ के रहने वाले थे इब्तिदा ही तालीम जामिया मिसबाहउल उलूम लातूर में 1965 से 1968 तक हुईइसके बाद  तीन साल मुज़फ़्फ़र नगर उत्तर प्रदेश  में ज़ेरे तालीम रहे और इसके बाद 1976 में दारुल उलूम देओबंद  से फरागत हासिल की 14 साल मिस्बाउल उलूम  लातूर में खिदमत अंजाम देते रहे और 9 साल तक मक्का मस्जिद लातूर में इमामत वो खिताबत के फ़रायज़ अंजाम देते रहे 
                      मदरसा नुरुल इस्लाम पाखर सांगवी की बुनियाद डाली जो आपकी यादगार के तौर पर जाना जाएगा मुख़्तसर सी अलालत के बाद कल रात 9 बजे इस दुनिया से कूच कर गए कल रात ही तकरीबन 12 बजे मदरसा नुरुल इस्लाम पाखर सांगवी में आप की तदफीन अमल में आई  अल्लाह मरहूम की मगफिरत फरमाए और पस्मंदगान को सब्रे जमील अता फरमाए आमीन 
हाफ़िज़ अब्दुल जब्बार मज़हहिरी नाज़िम मदरसा अरबिया मदीनतुल उलूम लातूर  



इन्ना लिल्लाहि व इनन्ना इलैहि राजिऊन 
अल्लाह तआला हाक़िम भी हैं और हकीम भी, हज़रत मौलाना उस्मान साहब रहमतुल्लाह अलैह के इंतेक़ाल कि खबर से दिल बहोत मगमूम है, मौलाना मरहूम ने ना सिर्फ लातूर बल्कि पुरे मराठवाड़ा मे इल्मी चराग़ रोशन किये हैं, उस वक़्त जब के जहालत व बिदअत का अंधेरा हर दहलीज़ तक पहुंच चूका था... वैसे माहौल मे हज़रत मौलाना मरहूम ने उम्मत को दीने हक़ का रास्ता बता कर हमारे अकाबिर उलमा के सच्चे जानशीन होने का हक़ अदा कर दिया..अल्लाह तआला से दुआ है के अल्लाह तआला हज़रत मौलाना मरहूम कि मगफिरत फरमा कर अपने जवारे रहमत मे खास जगह अता फरमाए.. और उनके पस्मान्दगान को सब्रे जमील अता फरमाए.
मुज़म्मिल काज़ी 
चीफ काज़ी औसा

اس وقت ہمارے شہر کے اکابر میں آپ کا شمار تھا اگرچہ کہ آپ زمانہ دراز سے عوامی نظروں سے حتی کہ علماء کی مجالس سے بھی کنارہ کش ہوگئے تھے (خدا جانے آپ کا راز کیا تھا) اس کے باوجود آپ علماء و عوام کے دلوں میں رہتے تھے اور زبانوں پر آپ کے  کارناموں کا چرچا ہوا کرتا تھا بالخصوص آپ کی مکہ مسجد کی خطابت جس نے ہزاروں انسانوں کی زندگیوں کا رخ پلٹ کر رکھ دیا ناقابلِ فراموش ہے..
اللہ تعالیٰ آپ کی ہر نیکی قبول فرمائے جو بھلائیاں آپ نے بعد والوں کے درمیان بطور میراث دینی چھوڑ دیں اللہ تعالیٰ اسے صدقہ جاریہ بنائے اور آپ کے پسماندگان بالخصوص اولاد کو صبر جمیل عطا فرمائے اور آپ کے حسنات وأخلاق کو اپنی زندگیوں کا حصہ بنائے رکھنے کی توفیق مرحمت فرمائے آمین
मौलाना हारून इशति  
नाज़िम मदरसा तक्वियतुल ईमान 

टिप्पणी पोस्ट करा

0 टिप्पण्या