*हिंदी साप्ताहिक लातूर रिपोर्टर को ज़िंदा रखने वाले मजहर पटेल.*
मराठी पत्रकारिता क्षेत्र में हिंदी पत्रकारिता करना वो भी औसा जैसे छोटे शहर में और लगातार 8 वर्षों से निकालना यह एक तपस्या है.संपादक मजहर पटेल हर समस्यावों को हल करते आ रहे हैं. 8 साल पहले यहां से एक हिंदी साप्ताहिक की शुरुवात हुई थी.राष्ट्रीय एकता के विषय पर आप जब चर्चा करते हैं तो एकता और हिंदी,संस्कृत भाषा का अन्य संबंध जोडा जाता है.अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी भाषा को ही स्वतंत्रता संस्कती,मानव धर्म,राष्ट्र धर्म की जननी के रूप में स्वीकार किया.देश स्वतंत्र होने के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के प्रयास हुए,अभी भी जारी है.इसी प्रयास को प्रतिरोध होता रहता है.वर्तमान आज अपने देश की काम काज की भाषा संसदीय कार्य की भाषा अंग्रेजी है लेकिन अंग्रेजी के समान हिंदी भाषा का विकसन होना ज़रूरी है.
हिंदी भाषा आम आदमी की भाषा है.भविष्य में हिंदी बचाव अभियान करना न पढ़े ऐसा भाग्य हमारा रहे तो हम देश विदेश में स्वाभिमान से खडे रह सकेंगे. हिंदी भाषा का समर्थन करना हर भारतीय का कर्तव्य है.वर्तमान युग में हिंदी पत्रकारिता चलाना काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.दिन के बाद रात आती है और रात के बाद दिन आता है.गत 8 वर्षों में कुछ ऐसा भी हुआ रात के बाद सवेरा हो गया.सब्र,हिम्मत और सच्चाई के रास्ते पर ही निर्भर करता है.हिंदी को राज्य भाषा का दर्जा और सभी राज्य सरकारों ने हिंदी को अपनाना चाहिए.खास तौर पर उत्तरीय राज्य में आंधप्रदेश,तमिलनाडु की राज्य भाषा अंग्रजी है. हिंदी भाषा को राज्य भाषा के रूप में स्वीकार करने पर अंग्रेजी की ममता कम न होगी,लेकिन कुछ राज्य ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और नजरअंदाज किया है.स्वतंत्रता के 70 वर्षों के बाद भी हमने हिंदी को अपनाने में प्रयास नहीं किया
हिंदी भाषा के संवर्धन में हिंदी पत्रकारिता जैसे धर्म युग,दैनिक भास्कर,राजस्थान पत्रिका,राष्ट्रीय सहारा,जनसत्ता,दोपहर का सामना और लातूर रिपोर्टर आदि शामिल हैं.
लातूर रिपोर्टर के संपादक मजहर पटेल हिंदी पत्रकारिता के रूप में समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.समाज का विकास व्यक्तित्व के विद्वत्ता से ही होता है. गत 8 वर्षों से पटेल उस पत्रिका का संपादन करते रहे हैं.उनके सामने कई कठिनाई आई लेकिन वो रुके नहीं.एक आगे की मंज़िल उजाला का रास्ता सामने रख कर सभी मिलकर चलते रहे. पटेल एक नए समाज के दिशा की ओर आगे बढ़ते रहे.जहां सभी को शिक्षा उद्योग विकास अनेक प्रश्नों को हल करने का जनता और प्रशासन के बीच दोहा बने रहे.उनके प्रश्नों को सरकार के सामने रख कर सभी को हल करने का प्रयास किया.मनुष्य को परस्पर जोड़ने की भाषा हिन्दी एक कड़ी हैं इसको बढ़ावा देना हर हिन्दुस्तानी का परम कर्तव्य है. मजहर पटेल 8 वर्षों से निभाते चले आ रहे हैं इस कार्य में अनेकों ने उनका साथ दिया.जिनमें विशेषता करके आधार स्तंभ पूर्व नगराध्यक्ष पै.अड.म.मुजीबोद्दिन पटेल,हिमायत पटेल,सय्यद मुजफ़्फ़र इनामदार,इक़बाल पाशा अख़बार वाला,अड.इक़बाल शेख डॉ.अब्दुल वहाब,मुन्ना झारेकर मुबीन काजी,अड.हाशमी,म.मुस्लिम कबीर,रुखनोदिन अालंदकर,इलियास चौधरी,डॉ.इमरान पटेल,वरिष्ठ पत्रकार विलास कुलकर्णी,संजय सागरे,काशीनाथ सगरे,महेबुब बक्षी,आफताब शेख,गिरीधर जंगाले,सचिन मिटकरी,डॉ.आर.आर.शेख,जी.एम.मोबाइल,मरहूम मुजफ्फर काजी,मरहूम पटेल जी. एल.,मौ.हारून इशाती,कारी रफीक सिराजी,मुफ्ती याकूब कास्मी,फकीरपाशा शेख,वामन अंकुश,अजहर हाशमी,शेख मुस्तफा लातूर,वाजिद भाई लातूर,शेख समद लातूर,शेख एम.एम.सर, नगरसेवक सत्तार बागवान,गुफरान पटेल,शेख सलीम,शेख सिराज,कालू करपुडे,चांद पटेल,खाजा बागवान शेख जाकेर,समियोदिन पटेल,शफी सर,सय्यद फक्रोदिन आदिने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से साथ दिया,मदद की.मैं लातूर रिपोर्टर के संपादक मजहर पटेल के तरफसे सभी को धन्यवाद देता हूं और आगे भी ऐसी ही मदद मिले ऐसी आशा व्यक्त करता हूं.
आखिर अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
लोग आते गए कारवा बनता गया.
*विलास कुलकर्णी*
(वरिष्ठ पत्रकार,औसा.)
Vilas Kulkarni 549@gmail.com
9552197268
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