तेरे चेहरे मे ऐसा क्या है
आखीर
जिसे बरसों से देखा ज्या
रहा है ..
जहां तक मुझसे मतलब है
जहां को
वहीं तक मुझको पुछा ज्या
रहा है..
जमाने पर भरोसा करने वालों
भरोसे का जमाना ज्या रहा
है ✍️
मुख़्तार कुरेशी, औसा
तेरे चेहरे मे ऐसा क्या है
आखीर
जिसे बरसों से देखा ज्या
रहा है ..
जहां तक मुझसे मतलब है
जहां को
वहीं तक मुझको पुछा ज्या
रहा है..
जमाने पर भरोसा करने वालों
भरोसे का जमाना ज्या रहा
है ✍️
मुख़्तार कुरेशी, औसा
सद्भावनेने राहु या ! (कवी: बशीर शेख "कलमवाला") डोळे भरून पाहावे, मनामध्ये घर करावे, प्रे…
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