पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में हुई हिंसा के बाद राजनीति तेज़ हो गई है.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के हिंसा पर दिए गए बयान को लेकर अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. ममता बनर्जी ने राज्यपाल धनखड़ को मामले पर 'अनुचित बयान' देने से परहेज़ करने के लिए कहा है.
राज्यपाल धनखड़ ने राज्य में हुई हिंसा को "आगज़नी और तांडव" बताया था.
राज्य की मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाल रही वाली ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एक चिट्ठी लिख कर कहा कि 'प्रशासन को निष्पक्ष जांच करने दीजिए.'
ममता बनर्जी ने पत्र में लिखा, "आपके बयानों में अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन करने वाला राजनीतिक अंदाज़ है और लगता है कि ये बंगाल सरकार को धमकाने की कोशिश है."
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राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बीरभूम में हुई हिंसा पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यहां मानवाधिकारों को ख़त्म कर दिया गया है और क़ानून का शासन बेहद 'ढीला' है.
अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में उन्होंने इस घटना को "भयानक हिंसा और आग़जनी का तांडव" बताया और कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से इस घटना पर तत्काल अपडेट मांगा है.
उन्होंने कहा कि राज्य को हिंसा और अराजकता की संस्कृति का पर्याय नहीं बनने दिया जा सकता.
अपने बयान में राज्यपाल ने राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रशासन को "पक्षपातपूर्ण हितों से ऊपर उठने की ज़रूरत है और यह होता नहीं दिख रहा है."
बयान के तुरंत बाद राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और ऐसे प्रतिष्ठित संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए अशोभनीय है.
हिंसा की शुरुआत
पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के बड़साल ग्राम पंचायत के उप-प्रधान और टीएमसी नेता भादू शेख़ की सोमवार शाम कुछ अज्ञात लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी.
इस हत्या के बाद हिंसा भड़क उठी और आठ लोगों की हत्या कर दी गई, इन लोगों के घरों में आग लगा दी गई, मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
पुलिस ने कहा कि हिंसा को लेकर अब तक 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है.
इस घटना ने राज्य में राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ कर दी है, बीजेपी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है, जबकि टीएमसी ने इसे राज्य सरकार को बदनाम करने की साज़िश करार दिया है.
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