17 नोव्हेंबर यौमे वफात स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अब्दुल हमीद खान भाशनी रहमतूल्लाह अलयही 🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸 #आप_शेखुल_हिंद_मौलाना_महमूदुल_हसन रहमतूल्लाह अलयही के शागिरदि में जंगे-आज़ादी के कामों में दिलचस्पी लेने लगे*

 17 नोव्हेंबर यौमे वफात

स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अब्दुल हमीद खान भाशनी रहमतूल्लाह  अलयही

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#आप_शेखुल_हिंद_मौलाना_महमूदुल_हसन रहमतूल्लाह अलयही के शागिरदि  में जंगे-आज़ादी के कामों में दिलचस्पी लेने लगे*

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सन् 1922 में आप *असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार हुए और दो साल की सज़ा हुई*

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🟢मौलाना अब्दुल हमीद रहमतूल्लाह अलयही की पैदाइश 12 सितम्बर 1880 को ढींगरा गांव (सिराजगंज: बंगाल)में हुई थी। इनके वालिद का नाम शराफ़त अली खान था। 






🟣मैट्रिक तक पढ़ने के बाद इस्लामी तालीम हासिल करने के लिए मौलाना हमीद साहब रहमतूल्लाह अलयही देवबंद के दारुल-उलूम चले

गये, 


🟡जहां के जंगे-आज़ादी के माहौल का असर उन पर भी पड़ा। *आप शेखुल हिंद*

*मौलाना महमूदुल हसन रहमतूल्लाह अलयही की शा्गिदी में जंगे-आज़ादी के कामों में दिलचस्पी लेने लगे।* 


🔵वहां बच्चों को पढ़ाने के बाद बाकी वक्त आप मुल्क में अंग्रेज़ों के जुल्मो-ज्यादती का मुकाबला करने के लिए मुजाहेदीन को हथियार चलाने और जंग के मैदान के दांव-पेंच सिखाने का काम करते रहे। 


🔴उसी दौरान आपकी मुलाकात देशबंधु चितरंजनदास से हुई और आप कौमी सियासत में खुलकर आ गये बाद में आप मौलाना मोहम्मद अली जोहर रहमतूल्लाह अलयही के साथ कांग्रेस में शामिल हुए और कांग्रेस के आंदोलनों में सरगर्मी से लगे रहे। 


🟢सन् 1922 में आप असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार हुए और दो साल की सज़ा हुई। 


🟡जेल में सोशलिस्ट नेताओं की सोहबत में आकर आप उनसे सोशलिस्ट कल्चर और विचारधारा की जानकारी लेने लगे। 


🟣जेल से बाहर आने के बाद आप सोशलिस्ट ख्याल के लोगों के साथ रहकर मुल्क की जंगे आज़ादी में हिस्सा लेते रहे। 


🟤आप सन् 1930 में असम की डुबरी सीट से चुनाव लड़कर विधानसभा के मेम्बर बने । आप सहाफ़त में भी काफी दखल रखते थे । 


🔵आपने उन दिनों बंगाली जुबान में दो हफ़्ता-रोज़ा अख़बार इत्तेफ़ाक और हककथा के नाम से निकाला, जिनमें अंग्रेज़ हुकूमत के खिलाफ़ लिखने की वजह से अंग्रेज़ी अफ़्सरों ने उन्हें बंद करा दिया।


🟢मौलाना भाशनी रहमतूल्लाह अलयही को उन दिनों सोशलिस्ट होने की वजह से रेड मौलाना के नाम से भी जाना जाता था। आपके बारे में बाद की तफ़्सील नहीं मिल पायी है। आपका

इंतकाल 17 नवम्बर सन् 1976 को ढाका में हुआ।

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संदर्भ : *लहू बोलता भी है*

पृष्ठ क्रमांक 244,245

लेखक- *सय्यद शहनवाज अहमद कादरी,कृष्ण कल्की*

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संकलन *अताउल्लाखा रफिक खा पठाण सर 

सेवानिवृत्त शिक्षक

टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र*

9423338726

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