जख्म को सब्र के मरहम से
छुपा देती है ,
दुश्मनो को भी मेरी खौम
दुआ देती है ,
हक कि आवाज को तू महेल
कि बांदी न समझ ,
जब ये उठती है तो बुनीयाद
हिला देती है ✍️
मुख्तार कुरेशी, औसा
जख्म को सब्र के मरहम से
छुपा देती है ,
दुश्मनो को भी मेरी खौम
दुआ देती है ,
हक कि आवाज को तू महेल
कि बांदी न समझ ,
जब ये उठती है तो बुनीयाद
हिला देती है ✍️
मुख्तार कुरेशी, औसा
आज लातूर जिल्हाधिकारी सौ.वर्षा ठाकुर मॅडम यांना भेट घेऊन त्यांना दिवाळी निमित्त भेट वस्तु देऊन दरव…
अधिक वाचाCopyright (c) 2020 Latur Reporter All Right Reserved | Distributed By TechbhaveshYT
0 टिप्पण्या
Do not enter this spam link in comment comment box.