रिदा - ए -एहसास
मां इस क़दर छोटी हस्ती नहीं है के उस को सिर्फ अल्फ़ाज़ में पेश कर करू, और मैं इतना बड़ा नहीं हूं कि मां की अजमत बयान कर सकूं.
मां की दुआएं, इसार व कुर्बानियां, मेहनत व जुस्तजू, और बेलोस ख़िदमात अल्लाह के फजल व करम से आज भी जारी हैं. उन के एहसनात के बोझ तले दबे रहने में ही आफियत समझता हूं. चुके मां के कदमों तले ही जन्नत है.
ए बारी तआला! हमारी मां को सिहत, और लंबी उम्र अता फरमा, और मां का सायाए शफकत कायम व दायम रख.. आमीन
तालिब दुआ; म.मुस्लिम कबीर व खानदान
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