तेरी फिरौनीयत के खात्मे को तेरे ही घरमे मुसा पल रहा है

 अंधेरों को यही तो खल 

                     रहा है ,

  दिया 🪔मेरा हवा में जल 

                जल रहा है ।

तेरी फिरौनीयत के खात्मे को

   तेरे ही घरमे मुसा पल रहा है 

                  ✍️

मुख़्तार कुरेशी, औसा



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