चंद ख्वाबों के अता करके
उजाले मुझको ..
कर दिया वक्त ने दुनिया के
हवाले मुझको ..
जिसको सुरज मेरी चौखट से
मीला करता था ..
अब वो खैरात में देते हैं
उजाले मुझको ।
मैं हूं कमज़ोर मगर इतना भी
कमजोर नहीं ,
तुट जाये न कहीं तोड़ने वाले
मुझको ✍️
मुख़्तार कुरेशी, औसा
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