फातीमाबी शेख-9 जनवरी यौमे पैदाईश.
आधुनिक भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका फातीमाबी शेख-9 जनवरी यौमे पैदाईश.
9 जनवरी,1831 को फातिमाबी जन्मदिन.ये वही फातिमा हैं जिन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर सावित्रीबाई के साथ काम किया.जब महात्मा फुले और सावित्रीबाई ने दलित मानी जाने वाली जाति के लड़कों और लड़कियों के लिए एक स्कूल शुरू किया,तो उन्हें उस्मान शेख ने जगह दी.फातिमा उस्मान की बहन हैं.वह सावित्रीबाई के संपर्क में आई और सावित्री बन गई.उसने गोबर के गोलो की मार भी खाई,बदनामी से लड़ा.लेकिन,वह नहीं झुकी.खुद से सीखा.वह दलित मानी जाने वाली जाति के लड़के-लड़कियों को पढ़ाती रहीं.सावित्रीबाई के साथ काम करना जारी रखा.अब गौर करनेवाली बात यह है की जब ज्योतिराव-साऊ ने 1848 में स्कूल शुरू किया,तो उन्हें उस्मान ने जगह दी तब उनके साथ फातिमा रहती थी.जब 1851 में स्कूल चालू किया गया तब फातिमा स्कूल की सह-संस्थापक हैं और उसीतरहा फतेह खान ने डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर की महाड सत्याग्रह परिषद को जगह दी. 25 दिसंबर 1927 को महाड में सत्याग्रह परिषद की शुरुआत हुई.इसके लिए हजारों लोग आए.एक विशाल जुलूस निकला.स्वादिष्ट तालाब घिरा हुआ था.25 दिसंबर को मनुस्मृति का दहन किया गया.अछूत नेताओं ने ग्रामीणों को परिषद में सीट न मिलने की चेतावनी दी थी.इसलिए जगह नहीं थी.हालांकि,उनकी धमकी की परवाह ना करते हुवे फतेह खान वंहा से नहीं हिले."मैं अपना वादा कभी नहीं तोड़ूंगा," ऐसा कहते हुवे व हा से लोगो को भगाया और सत्याग्रह को जगहा दी.फिर अफसोस की बात यह की उस्मान,यह फतेह खान,यह फातिमा हमारी दुनिया में क्यों नहीं है?
फुले-शाहू-आंबेडकर आंदोलन को अभी भी इन लोंगो की जानकारी नहीं है.इन आंदोलनों में भावताल के बारे में व्यापक जागरूकता कैसे नहीं हैजाति का फासला बढ़ा तो धर्म से.ही समाधान निकलेगा.कट्टरपंथियों की इस साजिश की समय रहते पहचान होनी चाहिए.सभी जातियों को अंधरे में रखना और हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ाना यह एक ऐसा माहौल बनाने की चाल है जो सभी धर्मों का उन्माद बढ़ाएगी.यह शुरू हो गया है.यह विकार भयानक अंत तक पहुंच गया है.यहां तक कि एक चिंगारी से भीषण आग लग सकती है.अगर फातिमा-फतेखान-फुले-शाहू-आंबेडकर के साथ नहीं जुड़े,तो आने वाला दौर मुश्किल होगा.
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