शिक्षा हासिल किजिए लेकीन सिर्फ नौकरी हासिल करने के लिए नहीं बल्कि काबिल बनने के लिए- प्रा.डॉ. मंगला कठारे

 शिक्षा हासिल किजिए लेकीन सिर्फ नौकरी हासिल करने के लिए नहीं बल्कि काबिल बनने के लिए- प्रा.डॉ. मंगला कठारे.

ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कूल में जागतिक महिला दिवस पर विविध कार्यक्रम संपन्न.





प्रा.डॉ.मंगला कठारे मॅडम नें अपने विचार रखते हुए पहिली मुस्लिम शिक्षिका फातेमा शेख कि मिसाल देकर और सुल्तानी फरीदा बाजी ने छत्रपती शिवाजी महाराज कि मिसाल देकर कौमी एकता को कायम किया.


औसा (मजहर पटेल/म. मुस्लिम कबीर) ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कुल में जागतिक महिला दिवस के उपलक्ष में सिर्फ महिलाओं के लिए विशेष समारोह आयोजित किया गया जिसमें महिलाओं कि शिक्षा और सुरक्षा,बच्चों कि तालिम और परवरीश में माँ का किरदार तथा हिजाब और पर्दे कि अहेमियत पर व्याखान और महिलाओं के लिए मुफ्त आरोग्य तपासणी शिबिर रखा गया था.जिसमें जेरे सदारत प्रा.डॉ. मंगला कठारे,सुल्तानी फरीदा बाजी पटेल रजिया बाजी,शेख हनिफा बाजी,आलेमा शेख तब्बसुम बाजी और डॉ.सफुरा तजीन सय्यद,डॉ. सुल्तानी गुलनाज,डॉ. जबीन पठाण आदी उपस्थित थे.

कार्यक्रम की शुरवात तिलावते कलाम-पाक से कि गई.शुरु में स्कूल के तलबाओंने बयानात हदीस और नात पेश किये.प्रिसींपल शेख अंजुमनेहा बाजीने ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कुल का मकसद,बच्चों के पढाई के बारे में लेखा-जोका पेश किया और औसा में चल रहे ऑर्बीट प्री-प्रायमरी इंग्लीश स्कूल के बारे में तफसीर में जानकारी दी.

शैक्षणिक सेवाकाल में अथक परिश्रम, शिक्षा, प्रेम, समाज सेवा, दृढ संकल्प एवंम समर्पित बहुमुखी प्रतिभा से केवल छात्र हि नहीं बल्कि समस्त समाज लाभान्वित होता रहा है इनके इन सर्वगुणसंपन्न व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए महेताबसाब अजमोद्दीन पटवारी एज्युकेशन सोसायटी और राहत मेडीकल फाऊंडेशन कि और से राहत जीवन गौरव पुरस्कार २०२२ से प्रा. डॉ. मंगला कठारे,सुल्तानी फरीदा बाजी, पटेल रजिया बाजी और शेख हनिफा बाजी को सम्मानित किया गया.

इस वक्त डॉ. प्रा.मंगला कठारे मॅडम ने महिलाओं कि शिक्षा और सुरक्षा इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए कहा की,औरत कि शिक्षा में हि उसकी सुरक्षा है.सावित्रीबाई फुले के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनका हाथ बटाने वाली मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख थी.इसलिए महिलाओं के शिक्षा लेने पर कभी रोकटोक नहीं लगनी चाहिए. इसीतरहा हर समय शिक्षा का संबंध नौकरी से लगाना उचित नहीं.शिक्षा हासिल किजिए लेकीन सिर्फ नौकरी हासिल करने के लिए नहीं बल्कि काबिल बनने के लिए.

इसी तरहा सुल्तानी फरीदा बाजी ने मार्गदर्शन करते हुए कहा की बच्चों कि तालिम और परवरीश में माँ का क्या किरदार है. इस्लाम में माँ का सबसे बड़ा दर्जा रखा है और औलाद के परवरीश में भी सबसे ज्यादा किरदार माँ का है.हम अपने बच्चों को अच्छी तालिम तो देते हैं, लेकीन उनकी अच्छी तरबियत करना यह सबसे अहम हैं. आगे फरीदा बाजी ने छत्रपती शिवाजी महाराज कि माताजी जिजाऊ माँ के बारे में मिसाल देते हुए कहा की जिजाऊ माँ ने किस तरहा छत्रपती शिवाजी महाराज कि परवरीश की,वे उन्हें बचपन से हि शुरविरों के किस्से कहानियाँ सुनाया करती थी. उन्होंने यह भी बताया की औलाद कि परवरीश प्यार व मोहब्बत से करों, उनपर अपने फैसले और हुक्म मत लादो उन्हें प्यार से दिन-ए-इस्लाम और नमाज कि पाबंदी करनेवाला बनाओ.आखिर में इल्म सिखना कितना जरुरी है इसपर सुल्तानी फरीदा बाजी ने रोशनी डाली.

आलेमा शेख तब्बसुम बाजी ने हिजाब और पर्दे कि अहेमियत पर रोशनी डालते हुए कहा की, इस्लाम में पर्दे कि अहेमियत को समझाया है.औरत को इस्लाम में पर्दे का हुक्म अल्लाह तआला ने कुरआन में दिया है और कुरआन के हर अहकाम पर अमल करना हर मुसलमान पर फर्ज है. इसलिए

पर्दा करना भी औरत पर वाजिब है.इन्होंने यह भी बताया की औरत को इस्लाम ने बहोत ही आला मकान दिया है और उसे किंमती बनाया है. इसलिए किंमती चिजों को हमेशा पर्दे में ही रखा जाता है और उसे चोरों के लिए खुला नहीं छोड़ा जाता.

इस वक्त पटेल रजिया बाजी ने भी मार्गदर्शन पर संबोधित करते हुए कहा की कि औरत किस तरहा से कंधे से कंधा मिलाकर इस समाज के हर कार्य को अंजाम दे सकती है.आखिर में उन्होंने लडकियों कि शिक्षा पर भी जोर दिया.इसके बाद महिलाओं के लिए आरोग्य तपासणी शिबीर लिया गया.जिसमें ४० महिलाओं की महिला तज्ञ डॉक्टरों के टिम ने आरोग्य तपासणी कि.इस आरोग्य शिबीर में औरतों कि सेहत के मसले-मसाईल पर भी खास तवज्जो दि गयी.

इस कार्यक्रम में बच्चे और महिलायें कसीर तादाद पर मौजुद थे.कार्यक्रम का सुत्र संचालन मोहतरमा प्रिसींपल शेख अंजुम नेहा बाजीने ने किया तथा आभार नसरीन रहिमोद्दीन ने माना.कार्यक्रम को कामयाब बनाने के लिए सुमैय्या पटेल, आयशा शेख, अमान शेख, परवेज शेख, झिनत बागवान, अर्शिया शेख और राहत मेडीकल फाऊंडेशन के सचिव अरबाज शेख ने मेहनत की.




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