3 जानेवारी जयंती
आझाद हिंद सेना के सदस्य स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन अब्बास अली
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कैप्टन अब्बास अली की पैदाइश 3 जनवरी सन् 1920 को कलंदर गढ़ी (खुर्जा; ज़िला बुलंदशहर) के एक मुस्लिम राजपूत ज़मींदार खानदान में हुई थी। आपके वालिद का नाम अय्यूब अली खान था, जो ब्रिटिश आर्मी में दफेदार के पट पर थे। आपकी तालीम पहले खुर्जा में और फिर अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में हुई। आप बचपन से ही क्रांतिकारी ख्यालों से असरअंदाज़ रहे। जब आप 11 साल के थे और पांचवीं क्लास में पढ़ते थे, उस वक्त शहीद भगत सिंह की फांसी के खिलाफ 25 मार्च सन् 1931 को विरोध-जुलूस निकला था आप उसमें पूरे साथ भगत सिंह तुझको आना पड़ेगा, हुकूमत को जलवा दिखाना पड़ेगा गाते हुए शामिल हुए। आप पहले नौजवान भारत सभा और फिर स्टूडेंट फेडरेशन के सदस्य बने ।
सन् 1939 में आप मोहन सिंह की बनायी गयी आज़ाद हिन्द फौज में शामिल हो गए और
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की क्यादत में देश के लिए लड़ाई लड़ी। सन् 1945 में जापान की हार के बाद ब्रिटिश सेना के जंग-बंदी बनाकर आप मुल्तान के किले में कैद कर दिये गये, जहां से सन् 1946 में आपका कोर्ट-मार्शल किया गया और सज़ा- ए- मौत सुनायी गयी। लेकिन देश आज़ाद हो जाने के बाद भारत की आज़ाद हुकूमत के हुक्म से अगस्त सन् 1947 में आपकी बाकी सज़ा माफ़ हो गयी और आप रिहा कर दिये गये।
आप पाकिस्तान बनने के सख़्त मुखालिफ थे। मुल्क आज़ाद हो जाने के बाद आप सन् 1948 में राममनोहर लोहिया की कृयादत में बनी सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हुए जहां सन् 1966 से 1973 तक आपने सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के अलग-अलग ओहदों पर रहते हुए प्रदेश की गैरकांग्रेसी सियासत में अहमियत का मुकाम रखते थे । सन् 1978 में आप विधानपरिषद् के लिए चुने गये।
आप आज़ाद हिन्दुस्तान में 50 से ज्यादा बार अलग-अलग जन-आंदोलनों में जेल गये। सन् 2009 में आपकी आत्मकथा किसी का दस्तगीर दिल्ली के राजकमल प्रकाशन से शाया की गयी। आप 93 साल की उम्र में भी उत्तरप्रदेश और दिल्ली मेंबहोनेवाले जन आंदोलनों में सरगर्म रहकर नौजवान तबके को हमेशा जोश देते रहे ।कैप्टन साहब ने स्वतंत्रता-संग्राम-सेनानी पेंशन/सम्मान के लिए कभी आवेदन नहीं किया। आपका मानना था कि हमने मुल्क के लिए अपनी ख़िदमात दी थी,उसका मुआवज़ा लेने के लिए नहीं। 11 अक्टूबर सन् 2014 को लम्बी बीमारी के बाद मुल्क की आज़ादी का यह जाबाज़ कप्तान दुनिया से विदा हो गया।
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संदर्भ- 1)लहू बोलता भी है
- सैय्यद शाह नवाज अहमद कादरी ,कृष्ण कल्की
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संकलन- *अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर*
सेवानिवृत्त शिक्षक
टूनकी तालुका संग्रामपूर जिल्हा बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726
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