तब्लीगी जमात

 परिचय 

TabligiJamat


(मज़हर पटेल अलमलेकर)


तबलीगी जमात ( अल्लाह के संदेश का समुह) 

उद्देश्य :- अल्लाह के बंदे को अल्लाह से जोड़ना। 

मनुष्य को धरती पर अल्लाह ने क्यों भेजा, उन तथ्यों से अवगत कराना। 

मानवीय कर्तव्यों को समझाना, 

नबी मुहम्मद साहब के बताए तरीकों ( सुन्नतों) के अनुसार अपनी जिंदगी गुजारना 

स्वर्ग और नरक से बचने वाले कर्तव्यों का पालन करना और करवाना। 

सभी प्रकार के पापों से बचना और बचाना। 

अपने धर्म का सच्चा अनुयायी बनकर ही जीवन व्यतीत करना। 

तबलीगी जमात के कर्तव्य :- दुनिया के लगभग हर कोने से तबलीगी जमात निकलती है और दुनिया के हर कोने में जाती है। 

तबलीगी जमात में कौन कितना समय देते हैं :- अपनी इच्छाशक्ति के अनुसार लोग तबलीगी जमात में अपना समय लगाते हैं :-  03 दिन, 10 दिन, 40 दिन, 04 महीने, 01वर्ष , सम्पूर्ण जीवन। 

10 से 15 लोगों का एक जमात (समुह) बनाया जाता है। 

जमात के सभी लोग अपने दैनिक आवश्यकता की सभी चीजों की पूर्ती स्वयं के खर्च से करते हैं। अपनी जान अपना माल और अपना वक्त

तबलीगी जमात के रहने सहने की जगह मस्जिद ही होती है, जमात के लोग किसी के घर नहीं ठहरते, हाँ, बस्ती वाले यदि चाहे तो एक आध समय के भोजन के लिए निमंत्रण दे सकते हैं। 

कोई भी जमात किसी भी मस्जिद में तीन से पाँच दिन से अधिक नहीं रुकते, अन्य मस्जिद में चले जाते हैं। 


तबलीगी जमात क्या कहती है :- आसमान और ज़मीन के बीच की कोई भी बात जमात नहीं करती अर्थात किसी भी प्रकार की राजनीति, द्वेषता, असहिष्णुता जैसी बातों से दूर रहती है। ना ओट कि बात ना नोट कि बात


तबलीगी जमात की बातें :- 


आसमान के ऊपर और जमीन के नीचे की होती है अर्थात् अल्लाह को जानो, अपने आप को जानो, जीवन के मूल्यों को जानो, मौत को सामने रखकर पाप करने से बचो सदा पुण्य करो, यदि पाप हो जाए तो यथाशीघ्र अपने पापों से प्रायश्चित करो और फिर कभी पाप न करने का संकल्प लो। 

हर हाल में अल्लाह के प्रसन्नता(खुशनुदि ) के कर्म में लीन रहो चाहे तुम अपने कार्य छेत्र में रहो या घर में।

किसी भी फिल्ड में काम करो इमानदारी दयानतदारी (अमानत में ख़यानत)ना करो हर हाल में सच्चे रहो पाक रहो ज़ाहिर और अंदरोन बातीन सब पाक रखो बदनिगाहि ना करो शराब ब्याज कुकर्मों से दुर रहो किसी के माल पर बुरी नज़र मत डालो कियुं कि अल्लाह सब से बेहतर तकसीम (बांटने) वाला है अपने आमाल का दिखावा ना करो अल्लाह दिलों के भेद को जानता है पांच वक्त की नमाज बा जमात जमात के साथ अदा करो सिराते मुस्तकिम पर चलो लायानी बातों से (जिस से दिन और दुनिया का फायदा ना हो) दुर रहो वक्त बर्बाद ना करो अपने मां बाप की खुब खिदमत करो घरवालों कि आंखों कि ठंडक और दिल का सुकुन बनो वतन (देश)से मोहब्बत करो प्यारे हिंदुस्तान की तरक्की और खुशहाली के लिए दुआएं हमेशा करो 

उलमाओं कि कद्र करो इज्ज़त करो मदारीस और मकातीब दिन के खि़ले हैं इन कि भरपुर मदत करो सभी धर्मों का एहतराम करो

हर इंसान को हमेशा इज्जत दो किसी को हक्कीर कम ना समझो

पेड लगाओ पर्यावरण का संरक्षण करो किसी को तकलीफ ना दो पड़ोसियों का ख्याल रखो शहरों में गांव मे शांतता प्रस्थापित करो हुकुमतों का साथ दो कानुन संविधान का पालन करो हमेशा हमेशा अल्लाह से राज़ी रहो

मां बहनों बेटियों की इज्ज़त करो

सभी स्त्रीजाती का सम्मान करो बुजुर्ग जेष्ठ नागरिक को सम्मानित करो एहतराम करो सुन्नतों के पांबद रहो कुरान की तिलावत करो और उसपर अमल करो

और ऐसी बहोत बातें जमात में सिखाई जाती है 


अल्लाह हर हाल में तबलिगी जमात कि तबलिगी जमात का काम करने वालों कि हिफाज़त फरमाएं हम सब मे इत्तेहाद और इत्तेफाक अता फरमाए आमिन सुम्मा आमिन

टिप्पणी पोस्ट करा

0 टिप्पण्या