अमारत हो तो ऐसी

 अमारत हो तो ऐसी






पिछले 40 से 45 साल में जिनकी इमारत के साए में औसा के अंदर दिन का काम वजूद में आया, उरूज में आया वह अमारत का साया अब नहीं रहा. जी हां मैं बात कर रहा हूं अलहाज एडवोकेट मुजीबोद्दीन पटेल साहब की जिनके जिम्में  औसा तालुके की अमारत की जिम्मेदारी थी और वह उन्होंने बखू भी निभाई जिसके चलते अवसा शहर और इलाके के अंदर बहुत बड़ा कारेखैर का काम वजूद में आया.

          अल्लाह चाहे तो किसी से भी काम ले सकता है चाहे फिर वह चिंटी हो, या अबाबील हो, या फिर हो इंसान अल्लाह पाक को आपसे दिन का काम लेना था आपको अमारत  की जिम्मेदारी सौंपनी थी इसीलिए साल 1974 में जब आप पानी के जहाज से हज को निकले तो दौरानी सफर में आपका तालीमी गस्त में तबलीगी जमात का तारीफ तारुफ हुआ  जिससे आप बहुत मुतासीर हुए जिसके चलते  1975 में मौलाना यूनुस साहब रहमतुल्ला  ने आपको यहां का अमीर मुंतखीब किया और इसी साल औसा शहर के ईदगाह पर पहला तबलीगी इस्तेमा हुआ.

            जिस वक्त आपको अमारत की जिम्मेदारी सौंपी गई उस वक्त यहां के हालात बड़े नाजुक थे. खौम को सही रहेबरी करने वाला कोई सरपरस्त नहीं था,  बीदाद ने अपने पैर जमाए हुए थे, सब गुमराही सा माहौल था ऐसे मुश्किल हालात में आपने दीन के अमारत की बागडोर संभाली और उसे कामयाब भी बनाया. आमिर के सर पर अल्लाह का हाथ होता है जी हां आपके सर पर अल्लाह का हाथ था इसीलिए मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान हो गए. यहां के बिदात को आपने बड़े ही गैर महसूस तरीके से खत्म किया. यहां की उम्मत को गुमराही से रोका और सही रास्ता बताया. आपका मिजाज सभी को साथ लेकर चलने का था आप उलमा ए इकराम की, हुफ्फाज ए  इकराम  की और सभी साथियों की बड़ी इज्जत करते थे, जरूरी वक्त पर आप उलमांओं से भी अपनी रहेबरी करवा लेते थे, उनसे राय मांगते थे. मशवरे के अंदर आप सभी को बात रखने का मौका देते चाहे फिर वह नया साथी हो या पुराना सब की बात आप गौर से सुनते इसीलिए सभी लोग आपकी इज्जत करते आपको मानते और आपके फैसले पर अमल भी करते. मशवरे में आप सबसे पहले तशरीफ लाते ।

                  आपके अंदर दीन का जोक व शौक पहले से ही था आपकी कॉलेज की पढ़ाई जब हैदराबाद में चल रही थी तब आप मस्जिद में कयाम से रहते थे आपकी नमाजो की पाबंदी देखकर शाह अब्दुल्ला ने कहा था की इस बच्चे का रूम का किराया माफ कर दो जी हां आप  इन्हीं शाह अब्दुल्ला बुखारी से बैत हुए थे जो उस वक्त के बहुत बड़े अल्लाह वाले थे ।

                   आपने सही मायनों में दिन का काम किया और सिखाया भी अवसा शहर में शुरू में मस्जिदों की तादाद कम थी शहर और आसपास के इलाकों में मस्जिद  बनाने का इरादा आपने किया इसके लिए आपने हर साल दोनों ईद के मौके पर मस्जिद के तामीरी काम के लिए चंदा जमा करने का मशवरा किया उलमा ओके सामने, साथियों के सामने बात रखी यह बात सभी को पसंद आई इसी तरह हर साल ईद के दिन चंदा जमा होने लगा जिसके चलते हर साल किसी नई मस्जिद की तामीर हो जाती या फिर किसी पुरानी मस्जिद की दुरुस्ती या फिर मस्जिद को और बड़ा बनाने का काम पूरा हो जाता. इसी तरह आपने रमजान के महीने के जुमाभी चंदे के लिए तय किए जिसके चलते शहर और इलाके के मस्जिदों के तामीरी आखरजात जात पूरा होने में बहुत बड़ी मदद हुई. यह इसी काम का नतीजा है कि आज अवसा शहर के हर एक मोहल्ले में मस्जिदों की मीनारें नजर आती है मैं समझता हूं कि आपकी हयात में यह सबसे बड़ा कारेखैर  का काम होगा ।

                 आप कुछ साल तक वक्फ बोर्ड के सदस्य भी रह चुके थे. आपने दीन के हर शोभे में काम किया और करवाया भी आपने जैसे मस्जिदों के तामीरी काम की फ़िक्र  की उसी तरह मस्जिद की आबादी के लिए भी फिक्र की आपकी सरपरस्ती, उलमा इकराम की रहेबरी और साथियों की कुर्बानियों का यह नतीजा हुआ की आज अवसा शहर के तमाम मस्जिदों में जमातों  के तआम व कयाम का इंतजाम हो गया. यह भी आपकी अमारत कि एक और अहेम कारगुजारी है .

           आपको दीन और दुनिया दोनों का बेहतरीन इल्म था । आपने वकालत का इल्म हासिल किया था इसीलिए आप हर बात को अच्छी तरह समझते थे. अल्लाह पाक ने आपको सियासत के अंदर भी बड़े मकाम तक पहुंचाया था आप तखरीबन 15 साल तक शहर एक  बल्दिया औसा के सदर रह चुके थे. जिसके चलते गली, गांव, शहर और इलाके का हर शख्स आपको जानता था, आपकी इज्जत करता था, आपको मानता था और आपके दिए गए फैसले पर अमल भी करता था. अवसा शहर और इलाके में दिन को फैलाने के साथ साथ इस शहर में भाइचारा, अमन व शांति आपने हमेशाबनाए रखा यह भी आपकी बहुत बड़ी कारगुजारी है ।

               दीन बताने का नहीं बरतने का नाम है और यही काम आपने किया शहर के उलमा ए इकराम और साथियों को साथ में लेकर कभी उनकी रहेबरी की तो कभी उनसे रहबरी ली इसके लिए कभी खुद को छोटा नहीं समझा सिर्फ दिन का फायदा सोचा इसी वजह से आपकी अमानत जानी गई. आपने सभी को जोड़ने का काम किया जिससे इतना बड़ा कारेखैर  का काम वजूद में आया जिसके चलते आपने एक मिसालि अमारत कायम की. आप अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन आपने किया हुआ इतना बड़ा कारेखैर का काम अमारत के तौर पर हमारे सामने हैं जो  हमेशा हमारी रहेबरी करता रहेगा. अल्लाह पाक आपकी मगफिरत फरमाए,जन्नत में आला से आला मकाम नसीब फरमाए और हम सबको इस काम को आगे ले जाने की तौफीक अदा फरमाए ।

            मैं जब था

            तब भी नहीं था और आज भी नहीं हूं

            लेकिन

            जो मेरे पहले था, आज भी है और...

            कल भी रहेगा...

            वह है दिन और उसका काम...

             तुम दिन का काम करो..

              दिन तुम्हारे काम आसान करेगा.


            वह है दीन और उसका काम

            तुम दिन का काम करो

             दिन तुम्हारे काम आसान कर देगा ।


शेख अय्यूब

प्राचार्य नाज़ अध्यापक विद्द्यालय औसा 

टिप्पणी पोस्ट करा

0 टिप्पण्या