इस्तेक्बाल रमजान

 इस्तेक्बाल रमजान





१. गुनाहों से माफी


रमजानूल मुबारक के शुरू होने से पहले अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगे. तौबा करना जैसे किसान (शेतकरी) बारीश का मौसम शुरु होने से पहेले खेती की तय्यारी कर लेता है, के जैसेही बारीश होगी विज जमीन मे डाला जाये और दुकानदार सिजन शुरु होने से पहले अपनी दूकान को सजाता है. माल भरता है. ताके सिजन में परेशानी ना हो. इसी तरह माहे रमजान शुरु होने से पहेले गुनाहों की अल्लाह से माफी मांगे.


२. अपने रिश्तेदारों से सिलारहेमी करना रोजी में बरकत का जरीया है. नेकी के कुबुलियत का जरीया है. अगर बन्दा अपने रिश्तेदारों से अच्छे तालुक नही रखता है तो उसकी मगफिरत नही होती है. अगर अपने रिश्तेदारों से अगर बात वगैरा बंद है तो उनसे बात शुरु करना चाहिए ताके माहे रमजान मे हम जो आमाल करे वो अल्लाह की बारगाह में कबुल हो.


३. रमजानुल मुबारक की तय्यारी कैसे करें. सिने को हसद बुगज किना से पाक होना बहोत जरुरी है.


४. मोबाईल और इन्टरनेट से एहतीयात करना आज के जमाने में हम मोबाईल और इन्टरनेट का बहोत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और अपने काम का अहम वक्त भी इसमें खराब कर देते हैं. मोबाईल इसलिए निकाला गया था के लोगो के काम आसानी से हो. लेकीन हमने उस को टाईम पास समझ कर इस्तेमाल करना शुरु कर दिया. इसलिए माहे रमजान में इसका कमही इस्तेमाल करें और इबादते ज्यादा करें.


५. रमजानुल मुबारक की अहम तारीन इबादतों मे से एक इबादत कुरआन करीम की तिलावत करना. हमे चाहिये के रमजान का महिना शुरु होने से पहेले हम अपने घरों मे, मस्जीद में कुरआन करीम की तिलावत करना शुरु कर दें. इस आदत की वजह से रमजान में हम ज्यादा ज्यादा कुरआन की तिलावत कर सकें और हम इस बात की कोशीश करना है के रोजाना २,३,४,५ पारे कुरआन करीम की तिलावत करना है. तो इन्शाअल्लाह रमजान में ज्यादा से ज्यादा हम कुरआन मुकम्मल कर सकते हैं.


६. रमजान में एक अहम तारीन इबादत दुआ करना है. इसलिए हम को अभी से दुआओं का आदी बनना चाहिये मगरीब से पहिले फजर से पहले और जब जैसा

 वक्त हम को मिले दुआ मांगना चाहिये. अगर अभी से हम दुआ की आदत डालेंगे तो इन्शाअल्लाह रमजान में भी हम खुब दुआ मांग कर अल्लाहसे अपनी हाजातमांग सकते हैं. और इंशाअल्लाह अल्लाह हमारी सारी जरुरीयात को पुरा करेंगे. ७. रमजान की और एक इबादत- तरावीह


अभी से हम अपने आप को नफील नमाजों का आदी बना लें जैसे चाश्त, इशराक अव्वाबीन और दिगर नफल नमाजों का ताके अभी से नफील नमाजों की आदत डालेंगे तो इन्शाअल्लाह तरावीह में आसानी होगी.


८. सदका और जकात निकालने की फिकर करें.


हम अपने आपको अभी से सदका देने वाला बनाये और हर वक्त और हो सके सुबह शाम कुछ ना कुछ जरुरत मंदों को सदके के जरीये से ताऊन करें ताके तो माहे रमजान में भी हम अल्लाह के रास्ते में खुब सदकात और जकात दे सकें. ९. रमजानुल मुबारक के रोजे रखने का अपने आपको आदी बनायें. खुसुसन


नौजवान. ऊस की आसान तरतीब यह है के अभी से खाना कम कर दें क्युं के भुखा


रहने की आदत बन जाये ताके माहे रमजान में रोजा रखना आसान हो. १०. रमजानूल मुबारक के महिने में उमरा करना. लेकीन मौजुदा हालात की वजह से अभी उमरे को जा नहीं सकते. एक छोटा सा अमल अल्लाह के नबी (स. अ.) ने बताया तो हम घर पर रहकर भी कर सकते हैं बगैर पैसे खर्च किये. इशराक की दो रकआत नमाज पढकर हज्जे मकबूल और उमरा मकबूल का सवाब हासील कर सकते हैं. अल्लाह के नबी (स.अ.) ने फरमाया के कोई आदमी फजर की नमाज पढे और अपनी जगह बैठा रहे यहा तक के सुरज तुलु हो जाने के बाद वो इशराक की नमाज पढ़ लेता है तो उस को एक हज और उमरे का सवाब मिलता है.


रमजान में हमारे यहा मामूल यह होता है के हम रात भर सोते नही और फजर अव्वल वक्त पढकर सो जाते हैं. यह महिना सोने का नही बलके इबादत का महिना है.


११. रमजान के महिने में अपने आपको अच्छे कामों मे लगाना.


इंटरनेट का और दुनिया वो फजूल चिजों में मशगुल होने से बचे. टि.व्ही. पर सिरीयल या दिगर प्रोग्राम देखने से परहेज करें इसलिए के ना मालुम के यह रमजान मेरी जिंदगी का आखरी हो. इबादतों मे ज्यादा वक्त गुजारें. १२. रमजानुल मुबारक के लिए अपना टाईम टेबल तय करले के मुझ को कितना काम करना और किस वक्त करना है. ज्यादा तर वक्त इबादतों के लिए तय करलें.

१३. अपने जबान की हिफाजत करना - बहोत से गालियां देते, चुगली करते हैं. अल्लाह के नबी (स.अ.) ने फरमाया बहोत से लोग जहान्नम में जायेंगे अपनी जबान की वजह से.


१४. अपने घरों में कुरआन करीम तिलावत की आदत डालना. हम खुद पढे अपने बच्चों को पढ़ने के लिए कहें. ताके रमजानुल मुबारक के महिने में अपने घरों से कुरआन की तिलावत से मुनव्वर है वैसा तो जिंदगीभर कुरआन को पढना चाहिए ताकी हमारी रोजी रोटी में बरकत हो.


हमारे घर में बच्चों को और बड़ों को टारगेट दे के इस रमजान में आपको इतने कुरआन खत्म करना है. इतना अस्तगफार करना है. इतने दुरुद और तसबीहात पढना है.


माहे रमजान में अल्लाह तआला को खुश करने वाले आमाल करे. आज अल्लाह हम से नाराज है. इसलिए पुरी दुनिया कोरोना जैसी बडी बिमारी की शिकार हो गई है. अल्लाह से दुआ भी करें के अल्लाह आनेवाला रमजान का महिना हमारे लिए असान फरमा और तमाम बिमारीयों से हमारी हिफाजत फरमा. और रमजानुल मुबारक के महिने की कदर करने की तौफिक नसीब फरमा (आमीन सुम्मा आमीन).


नज़रे सानी मौलाना हारून ईशाती

नाज़िम मदरसा तकवियतुल ईमान. औसा








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