मेरे नबी की प्यारी बाते ऐरे गैरे क्या जानें ,

 एक मरकज पर आकर जिस

   दिन हम सारे रुक जायेंगे ,

उस दीन फिर देखेगी दुनीयां

   किसमें कितना पाणी है ,

मेरे नबी की प्यारी बाते ऐरे

    गैरे क्या जानें ,

दुनीयां उनके कदमों मे है 

    जिसने उनकी मानी है ✍️

मुख़्तार कुरेशी, औसा







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