दर्द मेरा तू नहीं समझा तो फ़िर समझेगा कौन ...

 दर्द मेरा तू नहीं समझा तो 

    फ़िर समझेगा कौन ...

मेरे हक़ में तू नहीं बोला तो

    फिर बोलेगा कौन ...

आप क्यों खंजर छुपा कर 

     आस्तीन में लाये हो ...

आप तो मेरे हो आपको 

      रोकेगा कौन ✍️

मुख़्तार कुरेशी, औसा 

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