मश्शकतों के हवाले नहीं तो
क्या होंगे..
हमारे हाथ में छाले नहीं तो
क्या होंगे..
किसी को दिल में उतरने नहीं
दिया तूने ,
तेरे मकान में जाले नहीं तो
क्या होंगे..
बड़े यखीन से कल तूने झुट
बोला था ।
तेरे जुबान पर छाले नहीं तो
क्या होंगे ✍️
मुख़्तार कुरेशी, औसा
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