मिर इस्हाक शेख सर नही रहे

 मिर इस्हाक शेख सर नही रहे





सोलापूर . शहर की मशहूर शखसीयत , सोशल कॉजेज के रि . प्रोफेसर , अखिल भारतीय मुस्लिम मराठी साहित्य परिषद के संस्थापक उपाध्यक्ष , मराठी के अदीब, शायर , रिसर्च गाईड, ' डॉ . मिर इस्हाक सुलेमान शेख का  २८ / ६ / २१ को दोपहर मे इंतेकाल हुवा ,



 इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजऊन ०


आगाह अपनी मौत से कोई बशर नही।

सामान है सौ बरस का पल की खबर नही ॥

मैं कवि मुबारक शेख , लेखक बदीऊज्जमां बिराजदार , खादिमाने उर्दू फोरम के सदर विकार शेख , जमियत- उल्मा ए हिंद के ऑफीस मे मौलाना इब्राहीम से संस्कृत जबान मे कुरआन शाया करने के सिलसिले मे बात-चीत कर रहे थे ... इतने मे हसीब नदाफ भी इस मे शामील हुवे और बात करते करते डॉ मिर इस्हाक सर की तरजुमा की हुवी किताब " कूपीबंद " की तारीफ कर रहे थे इतनी मेहनत से लिखी गयी किताब के खरीदार कितने ? इस तरह की और बातें करते करते मेरी और हसीब की ये बात हुवी के अगले इतवार को सर के हाथों प्रा .नदाफ सर की " भाकर नामा " का प्रकाशन भी मीर इस्हाक सर के हाथों तय करने के लिए सर को फोन भी लगाया गया मगर सर का फोन भी बंद आया और बाद मे ट्राय करेंगें ऐसा बोल कर हम जमियत की ऑफीस से निचे आकर गप्पा मारने लगे थे के हसीब फिर निचे आ कर बताया कहा ...

एक बूरी खबर  अभी आयी है, आपको मालूम हुवा क्या ?

हमने कहा नही !

हसीब ने बताया , अभी सरफराज ने बताया के " डॉ मिर इसहाक सर नही रहे ''

ये सुन कर हमें बहौत शॉक लगा .. के

अभी तो कुछ मिनट पहले सर को ले कर बातचीत हुवी ... प्रोग्राम मे बुलाना तय हुवा .... सर अगर इस प्रोग्राम मे आते हैं तो तब ही सर को ये खुशखबरी भी देंगें के अखिल भारतीय मुस्लिम मराठी साहित्य परिषद के संमेलन अध्यक्ष डॉ . मिर इस्हाक सर रहेंगे,

इन्सान सोचता कुछ है और कुदरत करता कुछ और है , इस के मुताबीक सर के आखरी सफर की खबर आयी० 

मैं ने तकरीबन ३ महिने पहले सर को 

डॉ जुल्फी शेख के खिराजे अकिदत के प्रोग्राम मे आने की बात की थी तो आपने कहा था मेरी तबीयत ठिक नही है मैं नही आ सकता, अलबता मै मेरी बात आपको लिख कर देता हूं .... और उसे मेरी तरफ से आप पढो ......

इस पर मैंने कहा था, सर आप लिख कर रखो .... मैं आ कर लेता हूं ...

 सर ने कहा .... अय्यूब तुम भी बाहर ज्यादा फिरते नजर आते हो ... आप ज्यादा मत फिरो , मै लिख कर तुम्हे व्हाटसअप पर सेंड करता हूं, और सर ने अपना  मॅसेज मुझे व्हाटसप पर भेज कर भीड से दूर रहने  की ताकीद भी थी ...

डॉ मिर इस्हाक सर बडे दिलदार थे जो वायदा किया उसे पूरा करते वरना वायदा ही नही करते .... मुझे याद है 

१९९० मे  सोलापूर  मे जो पहला अखिल भारतीय मुस्लिम मराठी साहित्य संमेलन हुवा था सर ने इस के लिए शिंदे साब की तरफ से सब मे पहला पांच हजार का डोनेशन ला कर दिया था  वो भी बिल्कुल खामोशी के साथ .....

  आप  सोलापूर मनपा शिक्षण मंडळ के चेअरमन रहे मगर किसी स्कूल को व्हिजिट दे कर सस्ती शोहरत से दूर रहे , निर्मल कुमार फडकुले ट्रस्ट . संभाजीराव शिंदे शिक्षण प्रसारक मंडळ अहम रुक्न रहे इस.के  आलावा कई अदारों से आप जुडे रहे और कौम व मिल्लत के लिए जो आपसे बन पडा किया मगर इसका कहीं प्रचार नही किया , शोहरत से दूर रह कर  आपने इलमी अदबी, समाजी , दीनी  कामों मे बढ चढकर हिस्सा लिया और कामियाब भी किया

आपने आप[स्व] की सवाने उमरी " अर्ररहीकुल- मख्तूम ''  और हजरत बिलाल [रजि]  का मराठी तरजुमा किया , और हजरत शिबली नोअमानी की " अल -फारुक " का भी मराठी तरजुमा कर रहे थे जो अधुरा रहा .


अल्लाह मरहूम के नेक कामों को कुबूल करे , उन की मगफीरत फरमाए

और जन्नत मे आला मकाम अता करे , खानदान के सभी लोगों को सब्र जमील अता करे आमीन ०

आस्मा तेरी लहद पर

शबनम अफशानी करे  

आमीन  या रब्बूल आलमीन ०



🔶 अय्यूब अ लतीफ नल्लामंदू

     संपादक कासिद , सोलापूर


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