60 वर्षों से भारतीय सिनेमा के माध्यम से दिलों पर राज करने वाले युसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार का जीवन परिचय

 60 वर्षों से भारतीय सिनेमा के माध्यम से दिलों पर राज करने वाले युसुफ खान उर्फ

दिलीप कुमार का जीवन परिचय

(संकलन... म. शहाब महेदी कबीर औसा)





दिलीप कुमार जी का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में लाला गुलाम के यहाँ हुआ था. इनके 12 भाई बहन थे. इनके पिता फल बेचा करते थे, व अपने मकान का कुछ हिस्सा किराये में देकर जीवनयापन करते थे. 1930 में इनका पूरा परिवार बॉम्बे में आकर रहने लगा. 1940 में अपने पिता से मतभेद के चलते उन्होंने मुंबई वाले घर को छोड़ दिया और पुणे चले गए. यहाँ उनकी मुलाकात एक कैंटीन के मालिक ताज मोहम्मद शाह से हुई, जिनकी मदद से उन्होंने आर्मी क्लब में एक सैंडविच का स्टाल लगा लिया. कैंटीन का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने के बाद दिलीप जी 5000 की सेविंग के साथ वापस अपने घर बॉम्बे लौट आये. इसके बाद अपने पिता की आर्थिक मदद करने के लिए दिलीप जी नया काम तलाशने लगे.

भारतीय सिनेमा में ट्रेजडी किंग नाम से मशहुर दिलीप कुमार एक महान लोकप्रिय अभिनेता है. दुखद सीन में अपनी मार्मिक एक्टिंग से सबके दिल को छु लेने की वजह से इन्हें ट्रेजडी किंग कहा गया. जन्म से उनका नाम मोहम्मद युसूफ खान था, हिंदी सिनेमा में आने के बाद इन्होंने अपना नाम दिलीप कुमार रख लिया. दिलीप कुमार जी एक प्रतिष्ठित अभिनेता है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा जगत में 5 दशक की लम्बी पारी खेली है. भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के समय के ये एक अग्रिम अभिनेता रहे है. दिलीप कुमार जी ने बॉलीवुड में 1940 में कदम रखा था, उस समय हिंदी सिनेमा अपने शुरुआती दौर में था, उस समय ना ज्यादा एक्टर हुआ करते थे, ना फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर. देश की आजादी के पहले फिल्म देखने वाला दर्शक वर्ग भी काफी सीमित था

साल उन्नीस सौ छाछठ में इन्होने फिल्म इंडस्ट्री की बेहद खूबसूरत और मशहूर अदाकारा सायरा जी से निकाह किया. इन दोनों के बीच उम्र का अंतर उस समय चर्चा का विषय बना. कहां जाता है कि यह कपल बॉलीवुड का हसीन जोड़ा है, जिनके मध्य प्यार की कोई कमी नहीं थी.


इस फील्ड में आने का मौका उन्हें भाग्य ने दिया 1943 में चर्चगेट स्टेशन में इनकी मुलाकात डॉ मसानी से हुई, जिन्होंने उन्हें बॉम्बे टॉकीज में काम करने का ऑफर दिया. फिर इसके बाद इनकी मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से हुई, जिनके साथ उन्होंने 1250 रूपए सालाना का अग्रीमेंट कर लिया. यहाँ महान अभिनेता अशोक कुमार जी से इनका परिचय हुआ, जो दिलीप जी की एक्टिंग से बहुत मोहित हुए. शुरुआत में दिलीप जी कहानी व स्क्रिप्ट लेखन में मदद किया करते थे, क्योंकि उर्दू व हिंदी भाषा में इनकी अच्छी पकड़ थी. देविका रानी के कहने पर ही दिलीप जी ने अपना नाम युसूफ से दिलीप रखा था. जिसके बाद 1944 में उन्हें फिल्म में लीड एक्टर का रोल मिला, हालांकि यह फिल्म फ्लॉप रही पर इसके जरिये दिलीप जी की सिनेमा मे एंट्री हो चुकी थी.


अपनी पहली फिल्म के बाद दिलीप जी ने जुगनू नामक फिल्म में काम किया, जो बड़े पर्दे पर सफल साबित हुई. और इसके बाद ये रातो रात स्टार बन गए, इनके पास फिल्मों के ऑफर्स की लाइन लग गई. 1949 में दिलीप जी को राज कपूर व नर्गिस के साथ अंदाज फिल्म में काम करने का मौका मिला, ये उस समय की सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बन गई. 1950 का दशक हिंदी सिनेमा के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ. इस समय दिलीप जी की ट्रेजडी किंग की छवि धीरे धीरे लोगों के सामने उभरकर आने लगी थी. जोगन, दीदार व दाग जैसी फिल्मों के बाद से ही लोग इन्हें ट्रेजडी किंग बोलने लगे थे. दाग फिल्म के लिए इन्हें पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला. इसके बाद देवदास जैसी महान फिल्म दिलीप जी ने वैजयंतिमाला व सुचित्रा सेन के साथ की थी. शराबी लवर का ये रोल दिलीप जी ने शिद्दत से निभाया था, जिसमें सबने उन्हें ट्रेजिक लवर का ख़िताब दिया. ट्रेजडी रोल के अलावा दिलीप जी ने कुछ हलके रोल भी किये थे, आन व आजाद जैसी फिल्मों में उन्होंने कॉमेडी भी की थी. 50 के दशक में स्टार के तौर पर स्थापित होने के बाद दिलीप जी ने 1960 में कोहिनूर फिल्म की जिसमें उन्हें फिल्म फिल्मफेयर अवार्ड मिला. 60 के दशक में अपने भाई नासिर खान के साथ गंगा जमुना सरस्वती नामक फिल्म में काम किया, हालांकि यह फिल्म बड़े पर्दे पर असफल रही, परंतु इसने दिलीप जी की इमेज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डाला.


लगभग 2 दशक तक सिनेमा में राज करने के बाद 70 के दशक में जब अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना जैसे कलाकारो की एंट्री हिन्दी सिनेमा में हुई, तो इन्हे फिल्मों के ऑफर मिलना कम हो गए थे. इस समय दिलीप जी की जो फिल्में आई वो भी असफल रही. इसके बाद दिलीप जी ने 5 सालों तक का लम्बा ब्रेक ले लिया और 1981 में मल्टी स्टारर ‘क्रांति’ फिल्म से धमाकेदार वापसी की. इसके बाद से इन्होने अपनी उम्र के हिसाब से रोल का चुनाव किया, वे परिवार के बड़े या पुलिस वाले के रोल लेने लगे. दिलीप जी की आखिरी बड़ी हिट फिल्म रही 1991 की फिल्म ‘सौदागर’. दिलीप जी आखिरी बार 1998 में फिल्म ‘किला’ में नजर आये और इसके बाद इन्होने अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया.


इतने प्यार के बावजूद भी इंडस्ट्री के इस ट्रेजेडी किंग ने बच्चे की चाह में दौबारा ब्याह रचाया. उनकी यह शादी आसमा रहमान जी के साथ 1980 में हुई थी, परंतु उनका यह विवाह केवल 2 वर्ष चल पाया और दोनों अलग हो गए.


दिलीप जी हमेशा से पाकिस्तान व भारत के लोगों को जोड़ना चाहते थे, उन्होंने इसके लिए बहुत से कार्य भी किये. सन 2000 से दिलीप जी संसद के सदस्य बन गए, वे एक बहुत अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता है, जो हमेशा जरूरतमंदो की मदद के लिए आगे रहे है.

दिलीप कुमार को आज जून 2021 मैं हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है इनकी हालत काफी गंभीर है और यह फिलहाल मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में एडमिट है।


आजकल दिलीप जी का स्वास्थ्य कुछ साथ नहीं देता, पिछले कुछ वर्षों से वे कई बार अस्पताल में भर्ती हो चुके है. यहां तक कि साल 2011 में दिलीप जी की तबियत अचानक ख़राब हो गई, किसी ने उनकी मौत तक की खबर सब जगह फैला दी. इसके बाद उनकी पत्नी सायरा जी ने सबको ये बताया कि वो ठीक है उन्हें कुछ नहीं हुआ है. 2013 में इन्हें फिर हार्ट अटैक आया, जिससे उन्हें होस्पिटल में भर्ती किया गया. अप्रैल 2016 में दिलीप जी की फिर तबियत ख़राब हो गई थी, जिस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. 


दिलीप कुमार जी की उम्र अभी 95 वर्ष है, वे काफी दिनों से बीमार चल रहे है. प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप जी के अच्छे स्वास्थ्य की हम कामना करते थे. 


दिलीप जी कहां तक पढे है, ये कभी कॉलेज गए या नहीं इस बात की जानकारी किसी के पास नहीं है. पर कहां जाता है कि कुमार साहब ने अपनी स्कूल की पढाई नासिक के पास के किसी स्कूल से की थी, फिर इनका परिवार बॉम्बे आकर बस गया.


दिलीप कुमार के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Fact About Dilip Kumar)

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुमार साहब और इनकी पत्नी की उम्र में 22 साल का अंतर होने के बाद भी बॉलीवुड के इस कपल ने 2 साल पहले ही अपने निकाह के 50 वर्ष पूरे कर लिए है.

दिलीप जी ने फिल्म इंडस्ट्री में 6 दशक से भी अधिक समय तक काम किया है, और इन्होने पहला और सबसे अधिक फिल्म फेयर अवार्ड भी अपने नाम किए है.

उन्होने सायरा बानु को उनकी जन्मदिन की पार्टी में पहली बार देखा था, वे उनकी सुंदरता से आकर्षित हुये थे. उनकी सुंदरता से आकर्षित होकर वे सायरा जी को अपनी फिल्मों में अभिनेत्री के रूप में देखने का मन बनाने लगे. और उन्होने सायरा जी को शादी के लिए प्रपोज भी किया था.

इनकी कोई संतान नहीं है और अभी उनकी बीमारी में सायरा जी उनकी सेवा बहुत शिद्दत से करती हुई नजर आती है.

राज कपूर और दिलीप कुमार अच्छे दोस्त और अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे. राज कपूर जी ने भी इन्हे फिल्मों में आने की सलाह दी थी.

दिलीप कुमार ने एक बार इंग्लैंड में काउन्सलिन्ग और कोचिंग ली थी और वही उन्हे ये सजेस्ट किया गया था कि वे अपनी छवि ट्रेजेडी किंग से बदलकर कॉमेडी में स्थापित करे.

दिलीप कुमार बॉलीवुड के ऐसे पहले अभिनेता है जो पाकिस्तान से संबंध रखते है.

1960 के दशक में आई इनकी फिल्म मुगले आजम साल 2008 तक हिन्दी सिनेमा में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी.

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