जरुरतमंदो को कि गयी मदद कि दुवा हमेशा साथ रहती है-
और जब कोई मजबूर,तवंगर बन कर इंसानियत का पैग़ाम देता है-आँखो देखा हाल....
जरुरतमंदों और मजबुरों की मदद करने के लिये कोई विशेष समय नही रहेता,इंसानियत का तकाजा होता है की जब भी कोई जरुरतमंद आप से कुछ तलब करे या आप खुद महेसुस कर लें की हक़ीकत मे इस व्यक्ती को कुछ मदद करने की जरुरत है तो उस की जरुरत को पुरा करने की कोशीश करे. इन्सानियत,ज़ात,धर्म या पंथ से परे होती है,इसी संकली के पक्षधर औसा के सोशल ट्रस्ट,पटेल ब्रदर्स और इन के साथियों ने लाॅकडाऊन में उत्तरप्रदेश बाराबंकी के 120 लोगो को लगातार 6 महिने तक राशन और जरूरीयात के चिजे दिये थे और चार परिवार के पास कारोबार के लिये माल खरीदने के लिये पैसे नहीं थे तब हमने मदद के लिये अपील की थी उस अपील पर सोशल एज्यू.अँड वेल्फेअर सोसायटी,पटेल ब्रदर्स,मुजाहेद पटेल,म.मुस्लीम कबीर,इंजि.अजहर हाश्मी,अक्रम खान,डॉ. जिलानी पटेल,मजहर पटेल,फकीरपाशा शेख,रिजवान पटेल,डॉ.आर.आर.शेख,दिगर अहबाब नें और मरहूम मुजीबोद्दीन पटेल सहाब के परिवार के तरफसे दस हजार रूपये एैसा कूल मिलाकर 20100/- रू.उन्हें दे दिये थे.औसावालों के इस मदद कि आज तक इन लोगो ने याद रखी है.जिसका आज आँखो देखा हाल देखने में आया..असल में उत्तरप्रदेश से वे सभी लोग गणेश चतुर्थी,लक्ष्मी,दशहरा,कर्नाटक मोहत्सव का सिजन (फूल ब्रिकी) के लिये गुलबर्गा आये हुये हैं.आज सुबहा 8 बजे खालिदभाई अन्सारी उत्तरप्रदेश इनका फोन आया कि साब आपसे मिलना है,मैं औसा में हाश्मी चौक में रुका हूँ.मैंने कहा सवेरे-सवेरे क्यूँ मजाक कर रहे हो भाई,तो उसने कहा कि नहीं साब सचमे मैं आप सभी को मिलने गुलबर्गा से आया हूँ.फिर मैंने कहा रुको मैं आता हूँ.मैं उसी वक्त हुसेन पटेल को साथ में लेकर हाश्मी चौक पंहूचा तो खालिदभाई अपने हाथ मे एक थैली लिये खडे थे और हम जाते ही हमारे हात मे थैली थाम दी और बोला साब इसमे हमारे गांव से कुछ मिठाई और कन्नोज का अत्तर है.कुछ पल के लिये मैं तो स्तब्ध रह गया. क्या सच में मुसीबत में काम आने वाले लोंगो को हमेशा याद रखा जाता है,इसका उत्तम उदाहरण आज कि मुलाकात है.अल्लाह ने हम सभी को जरिया बनाया और लॉकडाउन में उन सभी जरुरत मंदो की मदद कि गयी. मैं सभी मदद करने वाले अहेबाबो का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ...अल्लाह हम सबको ऐसे हि जरुरत मंद के काम आने कि तोफीक दे...आमीन...
आँखो देखा हाल....
जरुरतमंदों और मजबुरों की मदद करने के लिये कोई विशेष समय नही रहेता,इंसानियत का तकाजा होता है की जब भी कोई जरुरतमंद आप से कुछ तलब करे या आप खुद महेसुस कर लें की हक़ीकत मे इस व्यक्ती को कुछ मदद करने की जरुरत है तो उस की जरुरत को पुरा करने की कोशीश करे. इन्सानियत,ज़ात,धर्म या पंथ से परे होती है,इसी संकली के पक्षधर औसा के सोशल ट्रस्ट,पटेल ब्रदर्स और इन के साथियों ने लाॅकडाऊन में उत्तरप्रदेश बाराबंकी के 120 लोगो को लगातार 6 महिने तक राशन और जरूरीयात के चिजे दिये थे और चार परिवार के पास कारोबार के लिये माल खरीदने के लिये पैसे नहीं थे तब हमने मदद के लिये अपील की थी उस अपील पर सोशल एज्यू.अँड वेल्फेअर सोसायटी,पटेल ब्रदर्स,मुजाहेद पटेल,म.मुस्लीम कबीर,मजहर पटेल,फकीरपाशा शेख,रिजवान पटेल,दिगर अहबाब नें और मरहूम मुजीबोद्दीन पटेल सहाब के परिवार के तरफसे दस हजार रूपये एैसा कूल मिलाकर 20100/- रू.उन्हें दे दिये थे.औसावालों के इस मदद कि आज तक इन लोगो ने याद रखी है.जिसका आज आँखो देखा हाल देखने में आया..असल में उत्तरप्रदेश से वे सभी लोग गणेश चतुर्थी,लक्ष्मी,दशहरा,कर्नाटक मोहत्सव का सिजन (फूल ब्रिकी) के लिये गुलबर्गा आये हुये हैं.आज सुबहा 8 बजे खालिदभाई अन्सारी उत्तरप्रदेश इनका फोन आया कि साब आपसे मिलना है,मैं औसा में हाश्मी चौक में रुका हूँ.मैंने कहा सवेरे-सवेरे क्यूँ मजाक कर रहे हो भाई,तो उसने कहा कि नहीं साब सचमे मैं आप सभी को मिलने गुलबर्गा से आया हूँ.फिर मैंने कहा रुको मैं आता हूँ.मैं उसी वक्त हुसेन पटेल को साथ में लेकर हाश्मी चौक पंहूचा तो खालिदभाई अपने हाथ मे एक थैली लिये खडे थे और हम जाते ही हमारे हात मे थैली थाम दी और बोला साब इसमे हमारे गांव से कुछ मिठाई और कन्नोज का अत्तर है.कुछ पल के लिये मैं तो स्तब्ध रह गया. क्या सच में मुसीबत में काम आने वाले लोंगो को हमेशा याद रखा जाता है,इसका उत्तम उदाहरण आज कि मुलाकात है.अल्लाह ने हम सभी को जरिया बनाया और लॉकडाउन में उन सभी जरुरत मंदो की मदद कि गयी. मैं सभी मदद करने वाले अहेबाबो का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ...अल्लाह हम सबको ऐसे हि जरुरत मंद के काम आने कि तोफीक दे...आमीन...
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