पंडित सुंदर लाल समिति की सिफारिशों का पालन के लिए मजलिस का राष्ट्रपति को पत्र

समिति की सिफारिशों का पालन किया जाना चाहिए.

पुलिस कारवाई के दौरान मुसलमानों पर अत्याचार-मजलिस-ए-इत्तेहाद-ए-मुस्लिमीन



लातूर (मोहम्मद मुस्लिम कबीर) सय्यद ख्वाजा मुजफ्फर अली इनामदार और औसा के मजलिस-ए-इत्तेहाद-ए-मुस्लिमीन के वरिष्ठ नेता ऍड.सय्यद गफूरुल्लाह हाशमी ने अत्याचार और जान-माल के नुकसान की रिपोर्ट के अनुसार सिफारिशों को लागू करने की मांग की.उन्होंने तहसीलदार को एक ज्ञापन देते हुए कहा,"सितंबर 1948 में दक्कन निजाम की सरकार मीर उस्मान अली खान का संयुक्त भारत में विलय हो गया और हिंदू बहुल आबादी में सामूहिक हत्याएं, आगजनी और लूटपाट की गयी.जब खबर जवाहरलाल नेहरू तक पहुंची तो उन्होंने कांग्रेस सदस्य पंडित सुंदर लाल की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया.उन्होंने सरकार को सिफारिशों के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.रिपोर्ट को प्रकाशित होने का मौका नहीं मिला.हालांकि,इसके कुछ हिस्से 2013 में लीक हो गए थे जिससे पता चला कि नागरिक हताहतों की संख्या 27,000 से 40,000 थी. "हमारे पास निर्विवाद सबूत हैं कि भारतीय सेना और स्थानीय पुलिस ने लूटपाट में भाग लिया.हमने अपनी यात्रा के दौरान देखा कि कई जगहों पर भारतीय सैनिकों ने न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि कुछ जगहों पर हिंदुओं को भी प्रोत्साहित किया. समूह रिपोर्ट के कई अंशों के अनुसार,उन्हें मुस्लिम दुकानों और घरों को लुटने के लिए मजबूर किया गया था.निवेदन के जरीये वरिष्ठ नेता सय्यद मुजफ्फर अली इनामदार और ऍड.गफूरुल्लाह हाशमी ने मांग की कि "कई मुस्लिम महिलाएं विधवा हो गईं,उनके बच्चे अनाथ हो गए और उनकी जमीनें जब्त कर ली गईं".इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इन पीड़ितों के वारिसों को अधिकारों और वित्तीय सहायता के पैकेज की घोषणा करे.इस समय सय्यद फजले रहीम,सय्यद ज़मीर, सय्यद कलीम,अजहर कुरैशी,शेख नईम और शेख अफसर मौजूद 

 پنڈت سندر لال کمیٹی کی سفارشات پر عمل کیا جائے۔

پولیس ایکشن کے دوران مسلمانوں پر ہوئے مظالم ۔۔

مجلس اتحاد المسلمین اوسہ کا مطالبہ

 لاتور (محمد مسلم کبیر) پولیس ایکشن کے دوران ہوئے مظالم اور اقلیتی طبقات کے جانی و مالی نقصان کی رپورٹ کے مطابق سفارشات پر عمل  کرنے کا مطالبہ اوسہ کے مجلس اتحاد المسلمین کے سینئر قائدین سید خواجہ مظفر علی انعامدار اور ایڈوکیٹ سیّد غفور اللہ ہاشمی نے کیا ہے۔  اُنہوں نے تحصیلدار کو ایک یادداشت پیش کرتے ہوئے کہا کہ "ستمبر 1948 کو دکن کے نظام میر عثمان علی خان کی حکومت متحدہ ہندوستان میں ضم ہو گئی۔ تاہم اس کے انضمام کے دوران تمام علاقہ دکن میں جو اقلیتی طبقے پر جو مظالم ڈھائے گئے  کے اور ہندو اکثریتی آبادی میں  بڑے پیمانے قتلِ عام، آتش زنی اور لوٹ مار کا بازار گرم کر دیا۔جب یہ خبریں جواہر لال نہرو تک پہنچیں تو انھوں نے رکنِ کانگریس پنڈت سندر لال کی قیادت میں ایک تحقیقاتی کمیشن قائم کر دیا۔  اس کمیشن  نے اپنی رپورٹ معہ سفارشات حکومت کو پیش کیں۔ رپورٹ کو اشاعت کا منھ دیکھنا نصیب نہیں ہوا۔ البتہ 2013 میں اس کے بعض حصے افشا ہوئے جن سے پتہ چلا کہ اس میں شہری ہلاکتوں کا تخمیہ 27 ہزار سے 40 ہزار بتایا گیا تھا۔رپورٹ میں لکھا ہے کہ 'ہمارے پاس ایسے واقعات کے ناقابلِ تردید ثبوت موجود ہیں کہ انڈین آرمی اور مقامی پولیس نے لوٹ مار میں حصہ لیا۔ ہم نے اپنے دورے میں دیکھا کہ بہت سے مقامات پر انڈین فوجیوں نے نہ صرف ترغیب دی بلکہ بعض جگہوں پر ہندو جتھوں کو مجبور کیا کہ وہ مسلمانوں کی دکانوں اور گھر لوٹیں۔ اس طرح کے کئی اقتباسات رپورٹ میں درج ہیں۔ مجلس اتحاد المسلمین کے سینئر قائدین مظفر علی انعامدار اور ایڈوکیٹ سیّد غفور اللہ ہاشمی نے مطالبہ کیا کہ" اس دوران کئی مسلمان عورتیں بیوہ ہوئیں، بچّے یتیم ہوئے، زمین جائیدادوں پر قبضہ کیا گیا۔ لہٰذا حکومت ان مظلومین کے وارثوں کو اُن کے حقوق اور مالی امداد کا پیکج کا اعلان کرے۔

اس وقت سیّد فضل رحیم، سیّد ضمیر، سیّد کلیم، اظہر قریشی، شیخ نعیم اور شیخ افسر موجود تھے۔

Md.Muslim Kabir,
Latur Dist.Correspondent,
Urdu Media
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