मौलाना महमूद हसन देवबंदी शेख उल हिंद

 30 नवंबर ही के दिन मुजाहिदीन ए आजादी के सरदार दारुल उलूम देवबंद के पहले  शागिर्द  मौलाना महमूद हसन देवबंदी शेख उल हिंद


के वफात का दिन है इस देश की आजादी के लिए जितने लोगों ने कुर्बानी दी है उनमें सबसे ऊपर नाम शेख उल हिंद का है कांग्रेस के वजूद में आने से 7 साल पहले आपने 1 जमात समरतुत तरबियत के नाम से बनाई थी जिसका एक ही मकसद था कि अंग्रेजों को देश से बाहर भगाया जाए उसके लिए आप एक फौज जो हिंदुस्तान के कोने कोने के इलाकों में बनाई तारीख ने उसका नाम तहरीक ए रेशमी रुमाल रखा रेशमी रुमाल पर सारे नक्शे बनाए जाते थे और और अपने शागिर्दों को हुकुम जारी किए जाते थे 

हिंदुस्तान की आजादी में सबसे बड़ी जंग यही साबित हुई लेकिन इसके कामयाब होने से पहले पहले यार ये राज़ फाश  हुआ आपको 4 साल माल्टा में काला पानी की सजा दी गई 1920 में आप की वफात अपने शागिर्द हकीम अजमल खान के घर हुई आपकी जिंदगी के दो बड़े कारनामे उनमें से एक जमीअत उलमा हिंद का कयाम और दूसरा जामिया मिलिया इस्लामिया का फाउंडेशन है आपके शागिर्द पूरी दुनिया में दीन की मेहनत और मुसलमानों को इज्जत का मकाम दिलाने के लिए फैल गए मौलाना इलियास साहब रहमतुल्लाह आले तबलीग़ी जमात के बानी आप ही के खास शागिर्द थे मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी देश की आजादी में सबसे आगे आगे थे आप ही के शागिर्द थे इसी तरह मौलाना हुसैन अहमद मदनी मौलाना अनवर शाह कश्मीरी शाह मंसूर अंसारी आप की फौज के सिपाही थे 

दुनिया ने तो आप को भुला दिया काश जिसके लिए वह पूरी जिंदगी तड़पते रहे यानी मुसलमान कौम उन्हें याद रखें

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