*शाहिद आजमी की शहादत के 12 साल...*
(11 फरवरी 2010)
ग़रीबी में बचपन गुज़ारा,मुंबई धमाकों का दर्द झेला,सरकारी अत्याचार के शिकार हुए,जेल में रहकर कानून की पढ़ाई की और फिर ख़ुद को बेगुनाह बाहर निकाला..
मात्र 7 साल वकालत की और तकरीबन 17 बेगुनाह लोगों को रिहा करवाया.वह अपने इस मिशन को आगे बढ़ा रहे थे,कई सफेदपोशों को बेनकाब कर रहे थे.आख़िर कार समाज विरोधियों की नज़र उन पर टेढ़ी हो गई और एक दिन इस नौजवान को शहीद कर दिया गया.शाहिद आजमी जैसे लोग ही असल हीरो हैं,इनके बारे में सबको जानना चाहिए कि किस तरह मुसीबत के वक्त भी ख़ुद को संभाला और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई शुरू की..
खिराज-ए-अकीदत शहीद शाहिद आज़मी को...
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