सदका-ए-जारिया*

 *सदका-ए-जारिया*




सदका-ए-जारिया वो अमल है जो के सदका करनेवाले इन्सान के लिये हयात से ता-कयामत तक सवाब का जरिया बनता है.सदका-ए-जारिया अपने मर्जी से किये गये सदके का जारी अमल है और ये आपके शहर के आसपास जरूरतमंद लोगों की मदद करने के सबसे आसान तरीन तरीकों में से एक है.*सोशल एज्यूकेशन ट्रस्ट* इस काम के लिये आप जैसे सखी और दर्यादिल लोगों के सदकात को सही जगहा उन जरुरत मंद लोगो तक पहूंचाने का काम करते हैं जो किसी कि मदद पर निर्भर रहते है.

जिस तरहा से जकात की रकम तय है उस तरहा से सदके की कोई रकम निर्धारित/तय नहीं है.आप अपने माली ऐतेबार से जितना चाहे उतना सदका दे सकते हैं.अबूबक्र (र.) अपने परिवार के लिए अल्लाह और उसके नबी(स.अ.स.)को छोड़कर,अपना सब कुछ दे देते थे जबकि उमर अल खत्ताब (र.)जो कुछ उनके पास था उसका आधा हिस्सा देते थे.


*आपका सदक़ा दान मदद करेगा:* गरीबों को खिलाओ-'वह मुसलमान नहीं है जिसका पेट भर जाए जबकि उसका पड़ोसी भूखा रहे।' (मुस्लिम)


जरूरतमंदों को पानी दें-'दान का सबसे अच्छा रूप किसी को पानी (पीने के लिए) देना है।' (इब्न माजा)


यतीमो की मदद करें-धन्य है मुसलमान का धन,जिससे वह गरीबों, यतीमो और राहगीरों को देता है।' (मुस्लिम)


बेवाओं का ख्याल रखें-'वह व्यक्ति जो बेवाओं की सहायता करता है वह उस व्यक्ति की तरह है जो अल्लाह के रास्ते में कोशिश करता है.' (बुखारी; मुस्लिम)



अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह का शुक्र है कि ज़रूरतमंदों कि खिदमत का यह सातवां साल है और आप सब की दुआओं से और सभी के मदद से आज भी बदस्तूर जारी है.हम इस बात का यकीन दिलाते हैं की,सोशल एज्यूकेशन सोसायटी के जरीये आपके सदकात की रकम का इस्तेमाल मुस्तहिक़ और ज़रूरतमंद लोगों तक मदद पहूंचाने का काम करते हैं.इसलिए आपसे गुजारीश की जाती है कि जकात,सदका कि रकम *सोशल एज्यूकेशन अँड वेल्फेअर सोसायटी* में जमा करें ताकी जरूरत मंदो तक हम मदद पहूँचा सके. 

*अध्यक्ष-प्रा.एल.एम.पटेल/सचिव-इंजि.अजहर हाशमी*

आप इन नंबरों पर आनलाईन रकम जमा कर सकते हैं. *Google Pay A/c-Azhar Hashmi Mo.9860601536 Phone Pay A/c.-Adv.Iqbal Shaikh Mo.9545253786,Mazhar Patel Mo.9975640170*

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