इस सदी के महान मुहद्दिस शेख़ ज़ियाउर्रहमान आज़मी का आज मदीना में इंतेक़ाल गंगा_से_ज़मज़म_तक




इस सदी के महान मुहद्दिस शेख़ ज़ियाउर्रहमान आज़मी का आज मदीना में इंतेक़ाल हो गया।




#गंगा_से_ज़मज़म_तक
(अब्दुल अज़ीम  सय्यद )

1943 ई० में कट्टर  हिंदु घराने में पैदा हुए #बांके_राम 2020 ई० में dr जियाउर्रहमान आज़मी, एक महान इस्लामी सकाॅलर की हैसियत से मदीना मुनव्वरा में कल दोपहर हमेशा हमेश की दुनिया की तरफ रवाना हो गए, अल्लाह आपकी मगफिरत फरमाए और पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता फरमाए!
शिबली काॅलेज आज़मगढ़ में मौलाना मौदूदी रह० की किताब "दीन-ए-हक" का बार बार अध्ययन करने के बाद इस्लाम की तरफ आकर्षित हुए, और इस्लाम को ओर ज्यादा पढ़ने की तड़प हुई, कुछ दिनों के बाद इस्लाम कुबूल किया, फिर जामिआ दारुस्सलाम, उमराबाद से आलमियत, फजीलत की! फिर जामिआ इस्लामिया, मदीना मुनव्वरा से ग्रेजुएशन तथा जामिआ उम्मुल कुरा, मक्का मुकर्रमा से पोस्ट ग्रेजुएशन किया, उसके बाद जामिआ अज़हर, मिस्र से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की!
Muslim World League में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे और अंत में जामिया इस्लामिया, मदीना मुनव्वरा 1979 ई० में प्रोफेसर नियुक्त हुए!
आपने लगभग अपनी पूरी जिन्दगी मदीना मुनव्वरा में गुजारी और विशेष रूप से हदीस के मैदान में इतना बड़ा काम किया जो अब तक कोई न कर सका! बहुत सी किताबें लिखीं, हिन्दी में "कुरआन की शीतल छाया" व "कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया" बहुत मशहूर हैं!
अल्लाह मरहूम की कोशिशों को कुबूल फरमाएं!




إِنَّا للهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ

शेख़ ज़ियाउर्रहमान 1943 में यूपी के आज़मगढ़ में हिन्दू ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थें, इनका नाम बांकेलाल था 16 साल की उम्र में अल्लाह ने हिदायत दी और इन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया।

शेख़ ज़ियाउर्रहमान मदीना यूनिवर्सिटी के हदीस के डीन भी रह चुके हैं, इन्होंने नबी ﷺ की 16 हज़ार 800 सही हदीसों को अपनी किताब में जमा किया है जो 18 भागों में है।

अल्लाह ﷻ इनकी ख़िदमतों को क़ुबूल करे
और इन्हें जन्नतुल फ़िरदौस में जगह दे 
आमीन 🤲1
 

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