आबाद करके खैर आबाद कहे कर चले गए
कहां तुम चले गए???
मरहूम लिखते हुए जख्मों पर मरहम लगाकर लिखने की नौबत आ गई है अल्हाज मुजीबोद्दिन वकिल साब जिन्हें लोग वकिल साब के हि नाम से ज़्यादा पहेचानते थे
इस्माईल पटेल के बेटे थे जिन्होंने
उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से वकिली कि सनद हासिल की और औसा शहर में वकालत का काम खैर अंजाम दिया वकालत करते हुए उन्होंने औसा शहर की खिदमत में दिलचस्पी ली सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर अपने सियासी सफ़र को शुरू किया लोग मिलते गए कारवां बनता रहा हर मोहल्ले के हर खानदान के हर धर्म के लोग वकिल सहाब से जुड़ते गए खंदक कटगर कालन गल्ली काझी गल्ली कुरेशी गल्ली जमालनगर मुजाहेद मौलवी साहब एन बि शेख सहाब इब्राहीम पहेलवान मकसुद नथ्थ़ड
जाफर सेठ कुरेशी डॉ अरब सहाब अहेमद बिरयानी वाले जहुर गुरुजी गरीब नवाज इनामदार मन्नान इनामदार नक्शेबंदी हमिद कंडक्टर एम आर मुल्ला सर हाशम पटेल वकिल साब अहेमद पटेल आदम खां अंडे वाले मधुकर नलगे शकिल अन्ना मिया काझी साब वकिल काझी साब मतीन क़ाज़ी सहाब हाजी छोटु मियां खदिर शेख महेबुब पटेल अब्दुल पटेल शेख गुलाब साब नजिर डाक्टर साब सईद सावकार युसुफ पटेल लोंढे गुरुजी अषटुरे साब बसवाराज वळसंगे विजयकुमार वळसंगे काळेकर होटेल वाले हंचाट्टे गुरुधर्म वाले उटगे परिवार इळेकर परिवार चदुं राचाट्टे सिद्रामप्पा मिटकरी सुभाष अप्पा मुक्ता नाथ संप्रदाय के मलिनाथ महाराज शिवराज पाटिल चाकुरकर मामा त्र्यंबक मामा पाटिल राजेश्वर राव बुके यादगिर गौडा बाबर इनामदार शेरु पटेल सभी शहर के समाज कि बहोत बडी लिस्ट है किसी के चंद नाम लिखा हुं बहोत नाम रहे हैं ऐसे सभी नौजवान बुजुर्ग मंडळी को लेकर चलते रहे औसा शहर कि तब कि मुलभुत जरुरतों को ध्यान में रखकर और आने वाले दौर को ख़्याल मे रखते हुए सभी समाजों कि धार्मिक स्थलों और तीर्थस्थलों की स्थापना खासकर मुस्लिम अकसरीयत वाले शहर में मसाजिद कि तामिर और उस को आबाद करने मे वकिल सहाब का बड़ा योगदान रहा आप का आफिस जब संस्कृतिक सभागृह तहसिल आफिस के बाजु में १९९२ के भुकंप के बाद स्थापित हुआ तब एक छोटि सी झोपडी वकिल साब ने सभागृह के मैदान में लगाई रात को यहि आराम फरमाते थे एक वक्त के काफ़ी माहिर फुटबॉल खिलाड़ी रहे वकिल सहाब सभागृह में उस समय के जज सहाब और पोलिस आफिसर के साथ ब्याडमिटन खिलते थे ९३/९४ में भी जिस्म में कमाल की फुर्ती थी निरव्यसनी किसी चिज़ के खाने कि तलब नहि थी हां कभी कमी सादा पान खालिया करते निहायत सादगी इतनी बड़ी अबा व अजदाद कि दौलत के बावजूद का पहेरावे का शौक ना मोटर वाहन का शौक था एक बहोत बड़ा अमला जोड़ा था सभी सियासी लोगों में एक अजिब इज्जत व एहतराम रहेता जमात तबलिगी के अमिर जमियत उलेमा-ए-हिंद के सेक्रेटरी कांग्रेस के जि उपध्यक्ष और वक्फ बोर्ड के मेंबर संजय गांधी निराधार के मेंबर हज कमिटी के सदस्य हज़रत सुरत शाह सकुल के अध्यक्ष पद और ऐसे बहोत सारे पदों पर रहे चुके कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं में से एक शिवराज पाटिल चाकुरकर सहाब के खास दोस्त मगर कभी किसी रिश्तेदार तो दुर खुन के रिश्तों के लिए भी सिफारिश नहि कि अगर चाहते तो किया कुछ नहि करते थे मगर जिसे सिर्फ अल्लाह और रसूल कि रज़ा कि फ़िक्र हो और आखिरत का खौफ हो वह किया करते
मां के खिदमतगार जाहेदा बेगम (वकिल सहाब के अम्मी) हमेशा कहते एक रहेना पर नेक रहेना मेरे मुजिब मियां लाखों में एक लाल है हमेशा हमेशा मां कि खिदमत वकिल सहाब को मनोगत परिवार के तरफ़ से आदर्श पुत्र का पुरस्कार दिया गया था व हकिकत में निहात मुत्तकी थे इतनी बड़ी उम्र के बावजूद सिर्फ दो साल पहले यानी लाकड़ा उन लगने के पहले के रमाजान या फिर उस से पहले के रमजान में तराविह कि नमाज़ पहेली सफ के सिधे बाजु में ठहर कर पढ़ते थे अल्लहा से मोहब्बत का शौक था फिर किया तकलीफ़ होती है प्रवा नहि थी मस्जिद में भी कोन नमाज़ को आरहा है कोन चकली माररहा सब रिपोर्ट फिर राब्ता करना नमाज़ कि दावत गश्त के दौरान मुलाकात पुरे शफा नगर में रोज़ गश्त लगाते और नमाज़ कि पाबंदी कि दावत देते
कोर्ट में वकिल थे लेकिन थे अवाम के जज मुनसिफ थे
लोग अपने घरों के जमिन जायदाद के झगड़े वकील सहाब के सामने लाते आप बिल्कुल सही इंसाफ सुनाते पोलिस अक्शन के बाद मुसलमानों की मिल्कियत जमिन जायदाद के लिए लडने वाले औसा शहर में दो हि वकिल थे मज़हर हाशमी सहाब और मुजिबोद्दिन पटेल साब ईनामी जमिनो के मसले थे हजारों एकर पर कुळ बिठाया हुआ था वक्फ बोर्ड मे नाम दर्ज़ नहि थे ये सब काम वकिल सहाब ने अपनी हिक्मत से किए कुछ लोग याद रखे और कई लोगों ने एहसान फरामोशी कि मगर हिम्मत का पहाड़ कभी अपनी जगहा से हिला नहि ना किसी को अपना एहसान जतलाऐ नहीं
सियासत में रहेते हुऐ तो वकिल सहाब के राजकीय खेळी का लोगों पर खौफ रहेता हि था मगर आखरी दम तक खौफ बाकी रहा
उलमाओं से खास रसुख रहा मसले मसायल भी बहोत याद थे
दिन का इल्म बहोत गहेरा था अक्सर मसाजिद मे बयान फरमाते खास कर ईदगाह पर ईद की नमाज के बाद का बयान नमाज़ होते हि सभी को सलाम और फिर आखिरत कि फ़िक्र कि बाद ईद की अहेमियत पर बात और फिर एक मस्जिद की तौसी के लिए चंदा बहोत उम्दा काम करने कि तरतीब वकिल सहाब कि थी
सियासी सफ़र ख़त्म होत नज़र आने पर अपनों ने साथ छोड़ा तो दुसरों ने मुंह मोड़ा लेकिन वकिल सहाब ने सब्र का दामन कभी नहि छोड़ा चाहनेवाले आख़री दम तक साथ रहे
अब उन के बाद अलिमोद्दिन
पटेल सहाब निहायत दिनदार और सब कि बंद मुट्ठी मदत करने वाले पहले से शहर के हर मस्जिद में मदारीस मकातीब में हमेशा अलीम पटेल साब ताऊन करते हैं
सभी बेटे बेटियों मे दिन दारी दयानत दारी वकिल सहाब से मिली है निहायत सादगी नर्मी से बात करने वाले अवलाद आखिरत का तोशा है और नेक अवलाद आखिरत कि कामयाबी का जरीया है मुख्याध्यापक शफीयोद्दीन पटेल साब मे तो पुरी वकिल सहाब कि झलक बात करने का अंदाज लहेजा फ़िक्र सब सब वकील सहाब के जैसा हुबहु लाईक पटेल सहाब कलीमोद्दीन पटेल साब बदियोद्दिन पटेल साब और सलाओद्दिन पटेल सबी बच्चे तिजारत मुलाजिमत मे मसरुफ़ है और वकिल सहाब कि जन सेवा कार्य को आगे बढ़ाने की कौशिश में रहते हैं
वकिल सहाब ने बिन ब्याजी मदनी इमदादी ट्रस्ट एक मदत करने वाली बैंक कायम कि जो ज़रुरत मंदो को मदत करने के लिए है आज भी उन के सब से छोटे बेटे और वकिल सहाब के खास चहिते जिगर माजी नगर सेवक अँड समीयोद्दिन पटेल साब के जेरे निगरानी में चलरहि है फैनांस ब्याज के फितने से अवाम को निकालने कि एक कौशिश वकिल सहाब कि रहि लातुर रिपोर्टर के संपादक मज़हर पटेल के जरीए समाज के मुसतहिक ज़रुरत मंदो को तलाश करके सहि में जरुरतमंद तक इमदाद पहोचाने का काम किया जाता है
लातुर रिपोर्टर के संपादक मज़हर पटेल को वकिल सहाब बहोत अजिज रखते थे नवासों में से डाक्टर इमरान पटेल साब राजकारण समाजकारण के सबक सिखने जाया करते रिजवान पटेल साब जिशान पटेल साब कि भी मुलाकात के लिए आते
त्र्यंबक दास जी झंवर काका के साथ कौटुंबिक स्नेह था काका को साथ लेकर शहर विकास मे बड़ा योगदान दिया
लोकनियुक्त नगराध्यक्ष डॉ अफसर बाबा साब को वकिल सहाब रहेनमाई करते पहेली बार नगराध्यक्ष बनाने में वकिल सहाब का अहेम रोल रहा एन बि शेख सहाब और वकिल सहाब के ऐहसानात को औसा शहर कभी नहीं भुलासकता औसा कि शान थे दोनों हिरे अल्लहा से दुआ है अल्लाह एन बि शेख सहाब और वकिल सहाब को जन्नतुल फिरदोस में आला मकाम अता फरमाए मगफिरत फरमाए दरजात को बुलंद फरमाए आमीन सुम्मा आमिन
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