मजबूर होके संग उठाना
पडा मुझे ,
जिंदा हूं मैं जहाँ को बताना
पडा मुझे ,
ठूकरा रहा हूं दौलते दुनीयां
को जबसे मैं ,
मिलता है रास्ते मे खजाना
पडा मुझे ✍️
मुख़्तार कुरेशी, औसा
मजबूर होके संग उठाना
पडा मुझे ,
जिंदा हूं मैं जहाँ को बताना
पडा मुझे ,
ठूकरा रहा हूं दौलते दुनीयां
को जबसे मैं ,
मिलता है रास्ते मे खजाना
पडा मुझे ✍️
मुख़्तार कुरेशी, औसा
शेख अयाज़ का इंतकाल *जनाब शेख सईद भाई ( मंडप वाले) इनके फर्जंद शेख अया्ज का इंतॆकाल हुवा है* तदफी…
अधिक वाचाCopyright (c) 2020 Latur Reporter All Right Reserved | Distributed By TechbhaveshYT
0 टिप्पण्या
Do not enter this spam link in comment comment box.