*फ़िलिस्तीनी पिता ने कवी रहमान फ़ारस के शब्दों को पूरा किया۔۔۔۔*
बच्चा है, उसे कफ़न में अकेला मत डाल
कफ़न में कोई गुड़िया, कुछ खिलौने डाल।
नाजुक है कोंपल की तरह मेरा शीरख्वार
ठंड बहुत है इसे दोहरे कफन में डाल l
कपड़े उसे अच्छे नहीं लगते ढीले ढीले
छोटी सी लाश है, छोटे कफन में डाल l
दफना उसे हुसैन के ग़म में लपेट कर
ये कर्बलाई है, काले कफ़न मे डाल l
छोटा सा है ये पाऊं, छोटा सा हाथ है
मेरे जिगर के टुकड़ों के टुकडे कफ़न में डाल l
मुझकोभी गाड दे मेरे लक्त ए जिगर के साथ
मेरे सीने से लगा कर मेरे कफ़न में डाल l
डरता बहोत है कीड़े-मकोड़ों से उस का दिल
कागज पे लिख ये बात और उस के कफन मे डाल l
मिट्टी में खेलने से लुथड जायेगा सफेद
नीला सजेगा इस पे सो नीले कफन में डाल l
ईसा की तरह आज कोई मोआजेझा दिखा
ये फिर से जी उठे, उसे ऐसे कफन में डाल l
सोता नही है ये मेरी आगोश के बगैर
फारस! मुझे भी काट कर उस के कफ़न में डाल l
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