यौमे अरफ़ा (9 ज़िल्हिज्जा )के फ़ज़ाएल और आमाल
क़ुरान व सुन्नत मे यौमे अरफ़ा यानि 9 ज़िल्हिज्जा के बहोत फ़ज़ाएल वारिद हुए हैं... अहले इल्म ने इस बा बरकत और अज़ीम दिन के तेरह (13) खास फ़ज़ाएल लिखे हैं.... जिन मे येह भी है के ये जहन्नम से आज़ादी पाने का दिन है.... इस दिन कि दुआ मे अल्लाह तआला ने बड़ी खैर रखी है.... येह वोह दिन है जिस मे दीन मुकम्मल हुआ और नेअमत पूरी हुई.... क्या मालूम आयेंदा येह दिन हमें नसीब हो या ना हो....इस लिए गनीमत समझ कर.... इस दिन को कमाने कि कोशिश करें.... रात को तहज्जुद.... कुछ नवाफिल व दुआ.... फिर सहरी खायें.... अज़ान होते ही मस्जिद.... तमाम नमाज़ें तक्बीरे उला के साथ.... फजर के बाद मस्जिद मे अपनी जगह बैठे रहें.... इशराक़ तक.... फिर दो या चार रकात.... इस का अजर हज और उमराह के बराबर है.... और बाज़ रिवायात मे इस का अजर.... हज़रत आक़ा मदनी. सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म... के साथ हज उमराह अदा करने जैसा है.... दोपहर को ज़ोहर का वक़्त दाखिल होते ही.... सलातुतस्बीह.... पूरा दिन ज़िकर, तकबीर, तिलावत, सदक़ा, रोज़ा और दिनी कामों मे गुज़र जाये और शाम को इफ्तार के वक़्त.... गरम आंसू और दुआ.
नोट : इस साल हमारे मुल्क मे यौमे अरफ़ा बरोज़ जुमा 31 जुलाई 2020 को है.
अल्लाह तआला हम सब को अमल कि तौफ़ीक़ अता फरमाए... आमीन या रब.
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